नहीं टूटी परंपरा, देवीधुरा में सांकेतिक रूप में खेली गई बग्वाल

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देवीधुरा स्थित मां वाराही धाम के खोलीखांड़ दुबाचैड़ के ऐतिहासिक मैदान में रक्षाबंधन के अवसर पर आयोजित होने वाली प्राचीन ऐतिहासिक विश्वप्रसिद्ध बग्वाल ( पत्थर वर्षा , जिसे अब फल-फूल वर्षा के रूप में आयोजित किया जाता है ) का आयोजन ढोल-नगाड़ों व मंत्रोच्चारण के साथ सांकेतिक रूप में किया गया। मेले का आयोजन इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते नहीं किया गया। प्रशासन और मंदिर कमेटी के बीच बेहतरीन सामंजस्य की बदौलत सदियों से चली आ रही परम्परा को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न किया गया। बग्वाल में प्रत्येक खाम से 11-11 बग्वाली वीर शामिल हुए।
पहले कयास लगाए जा रहे थे इस वर्ष बग्वाल का आयोजन नहीं हो पाएगा, लेकिन प्रशासन और मंदिर कमेटी के बीच बेहतरीन सामंजस्य व क्षेत्रीय लोगों के अनुशासन के चलते सदियों पुरानी परम्परा नहीं टूटी और बग्वाल हुई। कोविड-19 के प्रकोप के चलते इतिहास में पहली दफा ऐतिहासिक विश्वप्रसिद्ध बग्वाल का भव्य आयोजन सम्भव नहीं हो पाया। मगर नियमों को ध्यान में रखते हुए मंदिर कमेटी ने सोमवार को सीमित लोगों की मौजूदगी में विधि-विधान से पूजा अर्चना की। हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर कमेटी के बग्वाल का सांकेतिक आयोजन करने के फैसले का स्वागत करते हुए इस वर्ष मां वाराही की पूजा-अर्चना घर पर रहकर की और सम्पूर्ण विश्व को कोरोना मुक्त करने के लिए मातारानी से प्रार्थना की।
मंदिर कमेटी के मीडिया प्रभारी दीपक सिंह बिष्ट का कहना है बग्वाल पूजा का अभिन्न हिस्सा है और बग्वाल का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसीलिए सांकेतिक रूप बग्वाल का आयोजन किया गया। पूर्व ब्लॉक प्रमुख व मंदिर कमेटी के संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया का कहना है शांतिपूर्ण तरीके से सांकेतिक बग्वाल का आयोजन होना हमारे लिए गौरव की बात है। बग्वाल के दौरान देवीधुरा ग्राम प्रधान ईश्वर सिंह बिष्ट, छात्र संघ अध्यक्ष प्रकाश मेहरा, सनातन के राष्ट्रीय प्रचारक सुनील जोशी, क्षेत्र पंचायत सदस्य दीपक चम्याल सहित तमाम लोग व्यवस्था बनाने में जुटे रहे।  लोगों का कहना है  1914 के आसपास अंग्रेजों ने बग्वाल को रोकने का  प्रयास किया था। इस वर्ष कयास लगाए जा रहे थे कि इतिहास में पहली बार कोरोना के चलते बग्वाल का आयोजन नहीं होगा, लेकिन बेहतरीन सामंजस्य के चलते सांकेतिक रूप में बग्वाल का आयोजन सम्भव हो पाया। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार सदियों से अनवरत चली आ रही बग्वाल को रोक पाना समय के बस की बात नहीं।