प्रतीकात्मक हुआ कुंभ का चौथा शाही स्नान, बुधवार से हरिद्वार में कर्फ्यू

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कुंभ
शाही स्नान खत्म होते ही हरिद्वार जिला प्रशासन ने कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया है। जिला प्रशासन ने 28 अप्रैल से 3 मई तक हरिद्वार में कर्फ़्यू लगाने का निर्णय लिया है। डीएम सी.रविशंकर के मुताबिक कोरोना के बढ़ते खतरे को देते हुए हरिद्वार, रुड़की, लक्सर, भगवानपुर समेत सभी नगरीय क्षेत्रों में कर्फ़्यू लगाने का निर्णय लिया गया है। इस दौरान जिले में अति आवश्यक सेवाएं जारी रहेंगी। हरिद्वार महाकुंभ को देखते हुए फिलहाल जिले में कर्फ्यू लगाने का निर्णय जिला प्रशासन नहीं ले पा रहा था।

कर्फ्यू के दौरान फल, सब्जी, डेयरी, बेकरी, मीट मछली, राशन, सस्ते गल्ले की दुकान, पेट्रोल पंप, गैस आपूर्ति और दवा की दुकानें खुली रहेंगी। साथ ही आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों के आवागमन और फैक्ट्रियों के संचालन पर कोई रोक नहीं रहेग।

हरिद्वार में मंगलवार को कोरोना के साये में कुंभ मेला 2021 का चैत्र पूर्णिमा का चौथा एवं अंतिम शाही स्नान प्रतीकात्मक सम्पन्न हुआ। इस स्नान पर्व में मात्र 25 हजार लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई।
यह स्नान पर्व कुंभ मेले के इतिहास में दर्ज किया जाने वाला अपनी तरह का अनूठा और उदाहरण प्रस्तुत करने वाला है।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अंतिम शाही स्नान को प्रतीकात्मक रूप से करने की अपील का व्यापक असर हुआ। सभी अखाड़ों ने उदाहरण पेश करते हुए लाव-लश्कर और संख्या बल को कम किया । स्नान करने वाले साधु, संतों और नागाओं की अनुमानित संख्या सीमित रही।
स्नान में निरंजनी ओर आनन्द अखाड़े में समिल्लित रूप से लगभग 75 से 85 , जुना, अग्नि और आवाहन अखाड़े में समिल्लित रूप से लगभग 250 ,  महानिर्वाणी और अटल अखाड़े में सम्मिलित रूप से लगभग 80 , बैरागियों के निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े में सम्मिलित रूप से लगभग  600 , बड़ा उदासीन में लगभग 130 और नया उदासीन में लगभग 100  तथा निर्मल अखाड़े में लगभग 100 साधु संत सम्मिलित हुए।
कोरोना की दूसरी लहर का असर कुंभ मेले में आने वाले आम श्रद्धालुओं पर भी पड़ा। अखाड़ों के साधु, संतों, नागाओं सहित सम्पूर्ण कुंभ मेला क्षेत्र में करीब 25 हजार लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई।चैत्र पूर्णिमा का शाही स्नान मुख्यतः वैष्णव अखाड़ों का पर्व माना जाता है।