देहरादून। उत्तराखंड में विद्यालयी शिक्षा की बदहाली ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही। शिक्षा विभाग की व्यवस्थाओं को ढर्रे पर लाने की तमाम कोशिशों को खुद शिक्षक ही पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। आलम यह है कि शिक्षक स्कूलों में पढ़ाने तक के लिए राजी नहीं हैं। यह हम नहीं मंगलवार को शिक्षा महानिदेशालय के औचक निरीक्षण के आंकड़े कह रहे हैं। हालात यह हैं कि कई शिक्षक महज दो या तीन दिन नहीं तीन-तीन सालों से गायब चल रहे हैं। विभाग अब ऐसे शिक्षकों को आड़े हाथों लेने की तैयारी कर रहा है।
मंगलवार को शिक्षा महानिदेशालय के निर्देशों पर राज्य के 474 विद्यालयों का निरीक्षण किया गया। जहां विभाग ने छात्रों की संख्या, उपस्थिति के साथ ही शिक्षकों की बायोमैट्रिक उपस्थिति से लेकर बिना अनुमति गैर हाजिर रहने वाले शिक्षकों की जानकारी ली। निरीक्षण में शिक्षकों की उपस्थिति 91.8 फीसद पाई गई। जबकि छात्रों की महज 49.5 ही मिली। भेल ही शिक्षकों की उपस्थिति औसत से बेहतर रही, लेकिन गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों पर गौर करें तो कई ऐसे शिक्षक पाए गए जो हफ्तों या महीनों से नहीं बल्कि कई-कई सालों से विद्यालय नहीं गए हैं। आलम यह है कि गैरहाजिर शिक्षकों में दो ऐसे भी मिले जिन्होंने साल 2015 से स्कूलों की शक्ल तक नहीं देखी है। निरीक्षण के दौरान बिना अवकाश स्वीकृत किए गैरहाजिर रहने वाले सात शिक्षकों को विभाग ने नोटिस भी भेजा है। जिसके तहत शिक्षकों से गैरहाजिरी का कारण पूछा गया है। इसके अलावा कई ऐसे स्कूल भी सामने आए जहां सरकार की योजनाओं तक को ठेंगा दिखाया जा रहा है। हरिद्वार जिले के रुड़की स्थित दो राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील तक नहीं बनाया जा रहा है।
नियमों को शिक्षक दिखा रहे ठेंगा
एक ओर जहां एक दिन गायब रहने पर भी विभाग स्कूलों के शिक्षकों से स्पष्टिकरण मांग रहा है। वहीं दूसरी ऐसे शिक्षक भी निरीक्षण में सामने आए जिन्हें न प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था से सरोकार है और न ही बच्चों की भविष्य से। ऐसे शिक्षक विभागीय कार्रवाई से बेखौफ सरकारी सुविधाओें और वेतन का लाभ लेने का कार्य करने में जुटे हैं। निरीक्षण में ऐसे ही दो शिक्षकों की जानकारी ली गई तो पता चला कि वे साल 2015 से स्कूल ही नहीं गए। इनमें हरिद्वार जिले के राजकीय इंटर कॉलेज सलेमपुर की सहायक अध्यापक प्रीती 18 जनवरी 2015 के बाद से स्कूल नहीं गई। जबकि पौड़ी जिले राजकीय इंटर कॉलेज पाबो के सहायक अध्यापक राजेंद्र सिंह ने 27 मई 2015 के बाद से स्कूल में कदम ही नहीं रखा। इसके अलावा बिना अवकाश स्वीकृत कराए अनुपस्थित रहे अध्यापकों में बागेश्वर के राजकीय इंटर कॉलेज कपकोट के सहायक अध्यापक गंगा सिंह दानू, नैनीताल पटरानी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की शिक्षामित्र हरिप्रिया मनराल व शिक्षा मित्र उमा, उधमसिंह नगर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय मलपुरी के सहायक अध्यापक सुरेंद्र कुमार और पिथौरागढ़ राजकीय इंटर कॉलेज बेरीनाग की सहायक अध्यापक एकता कोटनाला को भी विभाग ने गैरहाजिरी को लेकर नोटिस भेजा है।
उत्तरा भी दस महीने से स्कूल से गैरहाजिर
कुछ दिनों पहले देहरादून में सीएम दरबार में शिक्षिका उत्तरा अपने तबादले की सिफारिश को लेकर सीएम से मिली थी। इस दौरान शिक्षिका उत्तरा पंत और सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई थी। जिसके बाद यह मामला मीडिया की सुखिर्यों में कई दिन बना रहा। लेकिन इस मामले पर भी गौर करें तो पिछले दस माह से शिक्षिका उत्तरा भी स्कूल नहीं गई हैं। उत्तरा बहुगुणा 14 अगस्त से स्कूल में अनुपस्थित चल रही है। खासबात यह कि मामले का संज्ञान होने के बाद भी शिक्षा विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। हालांकि, शिक्षिका का कहना है कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है और उनके बच्चे देहरादून में रहते हैं। जिस कारण उनकी देखभाल के लिए यहां कोई नहीं है। इसी कारण वे अपना ट्रांसफर देहरादून करना चाहती है। जिसके चलते उन्होंने सीएम दरबार में भी अपनी फरियद रखी थी।
पहले भी सामने आ चुके हैं मामले
स्कूलों में गैरहाजिर रहने वाले शिक्षकों का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई शिक्षक बिना अवकाश स्वीकृत कराए स्कूलों से कई-कई दिन गायब पाए गए हैं। हालांकि मामले में शिक्षा महानदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर अब विभाग बेहद गंभीर है। इसी के चलते निरीक्षण आदि का कार्य किया जा रहा है। नियमों से खिलवाड़ किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।