तीरथ कैबिनेट: नए चेहरों को जोड़ा लेकिन पुरानों को नहीं छोड़ा

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तीरथ सिंह रावत
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की कैबिनेट में आज चार नए चेहरे शामिल किये गये, लेकिन किसी पुराने चेहरे को भी नहीं छोड़ा गया। त्रिवेंद्र सरकार के जमाने के मंत्रियों के परफाॅरमेंस को कसौटी पर तौलने की जगह इस वक्त भाजपा हाईकमान ने सभी को साथ लेकर चलने पर जोर दिया है। यही वजह है कि कांग्रेस पृष्ठभूमि वाले वे सारे मंत्री तीरथ कैबिनेट में भी जगह पा गए हैं, जो कि पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ थे। चार साल केे बाद उत्तराखंड में अब कैबिनेट अपनी पूरी सदस्य क्षमता के साथ तैयार है। मुख्यमंत्री के अलावा आठ कैबिनेट मंत्री और स्वतंत्र प्रभार के साथ तीन राज्य मंत्री बनाए गए हैं। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के सखा डाॅ. धन सिंह रावत को प्रमोेशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाए जाने का शोर था। राज्यमंत्री बतौर चार साल का उनका अनुभव भी हो गया था, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला है। मुख्यमंत्री की कुर्सी से त्रिवेंद्र सिंह रावत हटे, तो देहरादून जिले के प्रतिनिधित्व के बहाने गणेश जोशी की लाॅटरी लग गई है। तीन बार के विधायक गणेश जोशी कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर हुए बदलाव के बाद कैबिनेट में बंशीधर भगत मौजूद, तो मदन कौशिक गायब दिखे हैं। मदन कौशिक के कैबिनेट से हटने के बाद हरिद्वार जिले के प्रतिनिधित्व के नाम पर स्वामी यतीश्वरानंद के मंत्री बनने की राह खुली है। 2017 में जब हरिद्वार ग्रामीण सीट पर स्वामी यतीश्वरानंद ने अप्रत्याशित ढंग से कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत को हरा दिया था, तब ही माना जा रहा था कि उन्हें मंत्री पद का इनाम मिलेगा। उन्हें अब यह इनाम मिला है। कांग्रेस कोटे वाले कुछ मंत्रियों की खराब परफाॅरमेंस और एकाध के आप के साथ बढ़ती नजदीकियों की खबरों के बावजूद सभी की कुर्सी बच गई है। 2022 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा हाईकमान ने किसी की भी नाराजगी मोल लेना मुनासिब नहीं समझा है।
मुख्यमंत्री के लिए बद्रीनाथ विधानसभा सीट छोड़ने की पेशकश करने वाले विधायक महेंद्र भट्ट को कैबिनेट में जगह न मिलने के बाद कयासबाजी का नया दौर शुरू हो गया है। सवाल हवा में तैरने लगे हैं कि क्या सचमुच मुख्यमंत्री बद्रीनाथ सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। भट्ट दो बार के विधायक हैं और चमोली-रूद्रप्रयाग जिले को प्रतिनिधित्व देने के नाम पर उनकी दावेदारी को काफी मजबूत माना जा रहा था। न त्रिवेंद्र सरकार में इन दोनों जिलों का कैबिनेट में कोई प्रतिनिधित्व था और न ही अब सुनिश्चित हो पाया है। प्रबल दावेदारी के बावजूद विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान का फिर से कैबिनेट से बाहर रह जाना सभी को हैरान कर रहा है।