देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर पांचों लोकसभा सीट पर कमल खिला। इसके साथ ही टिहरी लोकसभा की सांसद माला राज लक्ष्मी शाह ने तीसरी बार जीतकर हैट्रिक लगाई। उन्होंने एक मिथक को भी तोड़ा है जो अब तक चला आ रहा था। माला राज लक्ष्मी शाह ने तीसरी बार जीत कर मिथक को तोड़ दिया है।
माला राज लक्ष्मी शाह ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को तीन लाख पांच सौ 86 वोटों से हराया। इस हार के साथ ही राज परिवार और बदरी धाम से जुड़ा एक मिथक भी टूट गया। इस मिथक के अनुसार यदि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर टिहरी सीट पर कोई चुनाव होता है तो राज परिवार को हमेश हार का सामना करना पड़ता है। पहले दो बार ऐसा हो चुका है।
वर्ष 1971 के आम चुनाव और साल 2007 के उपचुनाव में दोनों बार बदरीनाथ धाम के कपाट बंद थे। इन दोनों अवसरों पर राज परिवार के उम्मीदवार को हारना पड़ा था। पर इस बार ऐसा नहीं हुआ। वर्ष 2019 के चुनाव में माला राज्यलक्ष्मी शाह ने जीत हासिल कर इस मिथक को तोड़ दिया। वर्ष 2012 में मनजेंद्र शाह की पत्नी माला राज्य लक्ष्मी शाह जीतीं जब यहां 10 अक्टूबर को मतदान हुआ था। इसके बाद इस सीट पर वर्ष 2014 के चुनाव 07 मई को हुए, इन दोनों ही चुनावी तारीखों में मंदिर के पट खुले थे और दोनों चुनाव राजपरिवार की सदस्य माला राज्य लक्ष्मी शाह जीती थीं।
वर्ष 2019 में 11 अप्रैल को मतदान हुआ जबकि बद्रीनाथ के कपाट 10 मई को खुले। ऐसे में यह जीत एक बड़ा मिथ तोड़ने वाली जीत है। टिहरी राजघराने को बदरीनाथ मंदिर का संरक्षक एवं परिवार के मुखिया को बोलांदा बद्री यानी बोलने वाला बदरीनाथ माना जाता है। ऐसे में यह मिथक टूटना काफी बड़ी बात है। टिहरी राज परिवार के सदस्य अब तक 13 बार चुनाव लड़ चुके हैं। 11 बार जीते हैं जबकि दो बार बदरीनाथ के कपाट बंद होने के कारण मार्च 1971 तथा 21 फरवरी 2007 को तत्कालीन प्रत्याशी मानवेंद्र शाह तथा मनुजेंद्र शाह चुनाव हारे।