केंद्रीय शिक्षामंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की कोशिश से हरकी पैड़ी के सौंदर्यकरण के लिए आईओएलसी से जारी 35 करोड़ रुपये में से सिर्फ 10 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। सौंदर्यकरण का जिम्मा वेब कोस कंपनी को दिया गया। कंपनी ने नमामि गंगे के माध्यम से डीपीआर तैयार कराई। बावजूद इसके यह काम यूपी सिंचाई विभाग की शाखा यूपीडीसीसी को सौंप दिया गया।
यूपीडीसीसी ने टेंडर निकालकर बरेली की फर्म सत्य सांई को यह कार्य 28.80 करोड़ रुपये दिया। हरकी पैड़ी के सौदर्यकरण के प्रस्तावित कार्य में पत्थर लगाना, घाटों पर स्टील की रैलिंग, एलईडी, स्क्रीन, टूटी दीवार बनवाना, दो गेटों का निर्माण करवाने के साथ ऐसी व्यवस्था करना था, जिससे करीब एक लाख श्रद्धालु हरकी पैड़ी पर होने वाली भव्य आरती का अवलोकन कर सकें। आरोप है कि केंद्रीय मंत्री निशंक की परिकल्पना को अधिकारियों ने पलीता लगा दिया।
-केंद्रीय मंत्री डॉ. निशंक के प्रयास से जारी हुए थे 35 करोड़, बाकी पैसा मेला आरक्षित क्षेत्र में शौचालय निर्माण और घास लगाने में किया खर्च
आरोप यह भी है कि हरकी पैड़ी के सौदर्यकरण के लिए दिए गए धन को अन्यत्र खर्च कर दिया गया। 18 से 20 करोड़ रुपये रोडीबेलवाला मैदान के सौंदर्यकरण पर खर्च कर दिया गया। रोडीबेलवाला क्षेत्र में 48 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में घास लगाने और समतलीकरण का कार्य चल रहा है। मैदान में घास लगाने के लिए 84 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से खर्च किया जा रहा है। इसके साथ ही 28 सीटर शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। हैरानी यह है कि जिस रोडी बेलवाला क्षेत्र में स्थायी निर्माण करवाया जा रहा है वह मेले के लिए आरक्षित भूमि है। इसमें स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं जिसे क्षेत्र में घास लगाई जाएगी उस स्थान पर कुंभ मेले में जिग जैग बैरिकेडिंग लगाई जाती है।
हरकी पैड़ी के सौदर्यकरण का कार्य देख रहे इंजीनियर संजीव जैन का कहना है कि शासन की स्वीकृत डीपीआर के मुताबिक ही हरकी पैड़ी पर काम किया गया है। अभी तक दस करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। रोडी बेलवाला क्षेत्र में मेला प्रशासन की स्वीकृति के बाद ही कार्य करवाया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 3 दिसम्बर को केंद्रीय मंत्री निशंक कुंभ कार्यों के निरीक्षण के दौरान इस पर अधिकारियों को कड़ी फटकार लगा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि निर्माण कार्यों की जांच कराई जाएगी