राजाजी पार्क अपनी विशिष्ट प्राचीन प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध बायोडायवर्सिटी के लिए जाना जाता है। पार्क को 1983 में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री सी.राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था। 23 प्रजाति के मैम्लस और 315 तरह के चिड़ियों के प्रजाति का घर है, लेकिन हाथियों के लिये प्रसिद्ध यह पार्क, अाज उनकी सुरक्षा नहीं कर पा रहां हैं।
बीते शुक्रवार की रात को राजाजी टाइगर रिजर्व के ढोलखंड रेंज में एक युवा हाथी की मौत हो गई, इसके साथ ही पिछले आठ महीनों में राजाजी में मरने वाले हाथियों की संख्या 10 हो गई है। वन्यजीवन वार्डन कोमल सिंह, के अनुसार हाथी सुबह ही बेहोश हो गया था। इसके बाद उसका इलाज शुरू हो गया, लेकिन रात तक उसकी हालत बिगड़ने लगी और वह मर गया। उन्होंने कहा, मुख्य रूप से यह लगता है कि बहुत अधिक गर्मी के कारण हाथी मर गया है।
राजाजी के निदेशक, सनातन सोनकर ने कहा कि पार्क क्षेत्र में पाइप के माध्यम से पानी के छोटे बड़े वॉटर होल्स को भरा जाता है ताकि जानवर प्यासे न रहें। इसके साथ ही हाथियों के नहाने के लिए बहुत से छोटे बड़े ट्रेंच खोदे गएँ है जिसमें वह मड बाथ ले सकें।
इसी वर्ष 29 मार्च को हाथी के एक शव को रिजर्व के अंदर नदी में तैरता हुआ पाया गया था। रिजर्व ने कहा कि हो सकता है कि वह नदी में फिसल गया और उसकी सांस नली बंद होने की वजह से वह मर गया था। इससे पहले 15 सितंबर को एक माँदा हाथी और उसका बच्चा हरिद्वार रेंज में बिजली से मर गया था। 6 अक्टूबर को एक हाथी का बच्चा ऊंचाई से गिर गया और उसी उसकी मृत्यु हो गई थी फिर 15 अक्टूबर को मोतीचूर में ट्रेन दुर्घटना में एक हथिनी की मृत्यु हो गई थी और उसके बाद खानपुर रेंज के कासस्रो नदी में एक और मृत हथिनी मिली।
30 नवंबर को, चिला रेंज में बिजलीघर से एक हथिनी की मौत हो गई। 24 दिसंबर को राजाजी में पहाड़ी से गिरने से एक हाथी की मृत्यु हो गई, 4 फरवरी को हाथी ‘योगी’ की रहस्यमय बीमारी से मृत्यु हो गई और 29 मार्च को हरिद्वार रेंज में एक हाथी की सड़ी हुई बाडी को बरामद किया गया।
निदेशक ने कहा कि सभी हाथियों की मौत प्राकृतिक आपदाओं और अन्य मामलों जैसे की रेलवे ट्रेक से एक्सीडेंट के कारण हुई, कुछ बिजली गिरने से और कुछ आपसी संघर्ष के कारण मरे लेकिन शिकार के कारण कोई भी नहीं मरा।