2012 में स्पेनिश में इसी नाम की फ़िल्म आयी थी उसी क्राइम थ्रिलर का हिंदी एडेप्टेशन है निर्देशक जीतू जोसफ की फ़िल्म ‘द बॉडी’। अजय (इमरान हाशमी) एक प्रोफेसर है। उसकी शादी धनी महिला माया (सोभिता धुलीपाला) से हो जाती है। यह विवाह केवल पैसे के लिए होती है। माया की मृत्यु हृदयाघात से हो जाती है लेकिन उसका शव मुर्दाघर से गायब हो जाता है।
ऋषि कपूर जो कि इस फ़िल्म में एसपी की भूमिका में हैं, मानते हैं कि शोभिता की हत्या हुई है ना कि स्वाभाविक मौत। कहानी टर्न और ट्विस्ट के साथ आगे बढ़ती है। शव की खोज के साथ कातिल की भी खोज होती है। रहस्यों का जब उद्घाटन होता है और आप चौंक जाते हैं।
प्यार धोखा हत्या की इस कहानी में ऋषि कपूर अपनी भूमिका में जमें हैं। उनके हाव भाव संवाद अदायगी उनके किरदार को वास्तविकता के नजदीक ले जाता है। वहीं इमरान हाशमी भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं। शोभिता धनी महिला की भूमिका में ठीकठाक हैं। नवोदिता वेदिका को कुछ खास करने की गुंजाइश नहीं है पटकथा में। उन्हें अपने आप को साबित करने के लिए अपनी अगली फिल्म का इंतजार करना पड़ेगा।
मलयाली फिल्मो के जाने माने निर्देशक जीतू जोसेफ का निर्देशन औसत है। जीतू जोसेफ कहानी को लेकर थोड़े कंफ्यूज लगते हैं। सींस की तारतम्यता पर अधिक ध्यान देने की जरूरत थी। सबसे बढ़िया काम संपादक का है। एक क्राइम रहस्य थ्रिलर में चुस्त संपादन की जरूरत होती है। उस लिहाज से अयूब खान ने अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाई है। गीत संगीत की बात करें तो पार्श्वसंगीत दृष्यानुकूल है।
रहस्य रोमांच में रुचि रखने वाले दर्शकों को यह फ़िल्म निराश नहीं करेगी।