देश भर के डीम्ड संस्थान अब अपने नाम के आगे यूनिवर्सिटी शब्द को प्रयोग नहीं कर सकेंगे। इतना ही नहीं इंडियन, नेशनल या इंटरनेशनल जैसे शब्द भी वर्जित होंगे, यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के नए रेगूलेशन में डीम्ड संस्थानों को इस शब्द के उपयोग करने पर रोक लगा दी गई है।
नए नियम के मुताबिक, अब संस्थान अपने नाम के आगे विश्वविद्यालय के समकक्ष या श्बराबरश् जैसे शब्दों का उपयोग करेंगे। यूजीसी द्वारा प्रस्तुत किए गए ड्रॉफ्ट में यह तमाम जानकारी दी गई है। आयोग के डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए तैयार किए गए नए रेगूलेशन पर गौर करें तो कोई भी डीम्ड संस्थान अब यूनिवर्सिटी शब्द का प्रयोग नहीं करेगा। इसके स्थान पर उसे अपने नाम के साथ समकक्ष या फिर यूनिवर्सिटी के बराबर जैसे शब्दों का प्रयोग करना होगा।
उत्तराखंड की बात करें तो यहां प्रदेश भर में तीन डीम्ड विश्वविद्यालय हैं। इनमें हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, देहरादून के एफआरआई और निजी विश्वविद्यालय ग्राफिक एरा शामिल हैं। नए नियम के मुताबिक, इन सभी के नाम से यूनिवर्सिटी हटाया जाना तय है, इसके अलावा देशभर के अन्य राज्यों में संचालित होने वाली डीम्ड यूनिवर्सिटी भी अपने नाम से यूनिवर्सिटी शब्द को हटाकर समकक्ष यूनिवर्सिटी शब्द का उपयोग करेंगी।
इंडियन, नेशनल या इंटरनेशनल शब्द भी नहीं होगा उपयोग:
डीम्ड संस्थानों को यूनिवर्सिटी शब्द से अलग अपने नाम में इंडियन, नेशनल या फिर इंटरनेशनल शब्द को भी उपयोग न किए जाने के निर्देश आयोग ने दिए हैं। आयोग ने साफ किया कि रेगूलेशन के तहत संस्थानों को विभिन्न कसौटियों पर तभी परखा जाएगा जब वे रेगूलेशन के अंतर्गत मानकों को पालन कर रहे होंगे। आयोग ने यह भी कहा कि कोई भी डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी एक से ज्यादा कैंपस संचालित नहीं कर सकेंगी। इतना ही नहीं, कोई भी नया डीम्ड संस्थान डिस्टेंस मोड यानि दूरस्थ माध्यम से डिग्री कोर्स भी संचालित नहीं कर सकेगा। आयोग ने इसे पूरी तरह से नए संस्थानों के लिए वर्जित रखा है।
उत्तराखंड भाषा विभाग के उपनिदेशक डा. सुशील उपाध्याय ने बताया कि आयोग के रेगूलेशन 2017 को लेकर ड्राफ्ट प्रस्तुत कर दिया गया है। आयोग ने डीम्ड संस्थानों पर कई तरह की बाध्यताएं लगाईं हैं। नए नियमों में संस्थानों को यूनिवर्सिटी शब्द के उपयोग की भी मनाही रहेगी। उन्होंने बताया कि अक्सर देखने में आता है कि यूनिवर्सिटी शब्द का प्रयोग कर संस्थान कई मामलों में न सिर्फ मनमानी करते हैं बल्कि नियमों को भी दरकिनार कर देते हैं। नए नियमों से ऐसे संस्थानों पर लगाम लगेगी। आयोग का मकसद है देशभर में शिक्षा का एक ऐसा माहौल तैयार हो जो शिक्षा क्षेत्र को बेहतर दिशा देने का कार्य करें।