योग महोत्सव के तीसरे दिन 150 आयामों का अभ्यास

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परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में आयुष मंत्रालय भारत सरकार, उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड, एवं गढ़वाल मण्डल विकास निगम द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन विशेषज्ञों द्वारा योग विधा के 150 विभिन्न आयामों का अभ्यास कराया गया।
शुक्रवार को कक्षाओं में विशेषतः कुण्डलिनी योग, हठ योग, पावर प्राणायाम, विन्यास योग, एरोमा चिकित्सा, अष्टांग योग, सोमेटिक योग, रेकी, योग निद्रा, सूर्योदय नाद योग एवं लीला योग का अभ्यास कराया गया। आज की शुरूआत कैलिफोर्निया, अमेरिका से आए गुरुशब्द सिंह खालसा द्वारा कुण्डलिनी साधना के अभ्यास के साथ हुई। तत्पश्चात चीन के कृष्णमूर्ति मोहन राज द्वारा हठ योग का अभ्यास, योगीराज विश्वपाल जयंत द्वारा पावर-प्राणायाम, कैलिफोर्निया की लौरा प्लम्ब द्वारा ’योग आफ लव’ का अभ्यास कराया गया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन योग साधकों को दिए संदेश में पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा,योग की यात्रा को स्वच्छता, एकता और सामंजस्य के मार्ग से विश्व शान्ति तक पहुंचाना ही हमारा लक्ष्य हो।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग की कक्षायें तो दुनिया के हर कोने में सम्पन्न होती है परन्तु योग साधना केवल भारत में गंगा के तट पर ही सम्भव है। गंगा के तट पर योग एवं ध्यान करना हर प्रतिभागी के लिये गर्व का विषय है।
इस दौरान परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज को मानवतावादी कर्मयोग विशेष पुरस्कार से नवाजा गया। कैल्फिोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका के भक्ति फेस्ट के संस्थापक श्रीधर द्वारा कर्मयोग पुरस्कार प्रदान किया गया। श्रीधर सिल्वरफेन ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज भक्ति, ज्ञान और कर्म तीनों धाराओं के माडल है। उनकी उच्चस्तरीय भक्ति एवं ज्ञान अतुलनीय है। श्रीधर सिल्वरफेन जी ने कहा की प्रत्येक वर्ष अमेरिका में होने वाले विशाल भक्ति महोत्सव के सू़त्रधार भी पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी है।
स्वामी जी द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग कर रहे योगाचार्य स्वामी भक्ति आलोक पद्धमवेति, योगाचार्य किया मिलर, योगाचार्य ब्राइन सिद्धार्थ इंगले, योगाचार्य भरत शेट्टी, योगाचार्य एरिका काॅफमेन, चान्दनी मग्लिनों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये पुरस्कृत किया गया।
योगासन का अभ्यास कराते हुए योगी किया मिलर ने कहा, शरीर में बुद्धिमत्ता का सृजन जीवन में बुद्धिमत्ता का मार्ग प्रशस्त करता है। इन आसनों से आप के अतंःकरण में निहित शक्तियां का उद्दभव होगा। प्राणायाम के माध्यम से श्वास की प्रक्रिया अतंःकरण में विद्यमान अवरोधों को नष्ट कर देती है। अंततः आप देखेंगे कि प्राणायाम से अतंःकरण में निहित शक्ति को प्रकट करने में सक्षम हो रहे है। यही योग का यथार्थ स्वरूप है।
इटली की फ्रान्सेस्का केसिया ने कहा, ’हैपी हिप्स फ्लो’ का अभ्यास कराया जबकि कनाडा की ग्लोरिया लैथम ने चक्रों के माध्यम से जीवन यात्रा की जानकारी दी। कैलिफोर्निया की क्रिस्टिन ओलसन ने हठ-योग तथा भरत शेट्टी ने विन्यास प्रवाह एवं स्थिर आसनों की कक्षा सम्पन्न की।
दोपहर के बाद की कक्षाओं में एरोमा थिरेपिस्ट डाॅ अंजना भगत ने एरोमा थिरेपी के माध्यम से भावनाओं के संतुलन तथा पूर्व राजदूत तथा योगी श्री चन्द्रमोहन भण्डारी ने समग्र स्वास्थ्य के लिये योग अभ्यास पर परिचर्चा की। तत्पश्चात प्रसिद्ध वैज्ञानिक ब्रुस लिप्टन ने समझाया कि अवचेतन मन के पावर को योग के माध्यम से किस प्रकार विकसित कर सकते है।