टीचर्स डे स्पेशल: अपने हौंसले से कुदरत की मार को भी चुनौती दी इस शिक्षक ने

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पिछले साढ़े तीन सालों से जोध सिंह कुंवर के लिये पिथौरागड़ की अंद्रूनी इलाकों के एक प्राथमिक स्कूल में 8 बच्चों को पढ़ाना ही जीवन का लक्ष्य बन गया था। यहां पढ़ने वाले छात्रों में एक लड़का और सात छात्राऐं हैं। 45 साल के जोध सिंह के लिये 2 अगस्त का दिन भी किसी अन्य दिन के ही समान था जिसे वो पिथौरागड़ जिले के दानीबगड़ में स्थित कन्या जूनियर हाई स्कूल में बिताते।

हांलाकि उस दिन कुदरत को कुछ औऱ ही मंजूर था। भारी बारिश के कारण इलाके में बनी 4 मेगावॉट की हाईड्रो प्रोजेक्ट का डैम बह गया और अपने साथ एक पुल को भी बहा ले गया। इसके चलते जोत सिंह के स्कूल को जाने का रास्ता भी कुदरत की मार के भेंट चढ़ गया। लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों में भी जोध सिंह ने अपनी जिम्मेदारी का दामन नहीं छोड़ा और रस्सी के सहारे नदी पार करके वो स्कूल पहुंचे।

जोध सिंह के इस साहसिक काम का वीडियो कुछ ही घंटो में वायरल हो गया। इस बारे में न्यूजपोस्ट से बात करते हुए जोध सिंह बताते हैं कि “इस वीडियो के जरिये मेरा मशहूर होने का कोई इरादा नही था। मुझे अपनी जिम्मेदारी निभानी थी और स्कूल पहुंचने का ये सबसे छोटा रास्ता था। दूसरा रास्ता 7-8 किमी लंबा था इसलिये मैने इसे अपनाया”।

पिथौरागढ़ के जोध सिंह बताते हैं कि शिक्षा विभाग में उनका सेलेक्शन खेल कोटे में हुआ और आज अपने काम को अंजाम देने में वही शारीरिक क्षमता उनके काम भी आ गई।

जोध सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग में काम करते हुए उन्हें करीब 23 साल हो गये हैं। इस सारे समय उनका फोक्स रहता है कि कैसे वो अपना छात्रों को सही और पूरा ध्यान लगाकर पढ़ा सकें। और यहीं इतने सालों से उनकी प्रेरणा भी रही है।

जोत सिंह के इस हैरत में डाल देने वाले वीडियो को देखर पिथौरागढ़ से विधायक हरीश धामी ने अपनी विधायक निधि से एक टेम्प्रेरी ट्रॉली लगवा दी है।

हर साल मॉनसून में पहाड़ों में कुदरत की मार के सामने की मामूली इंसानों की ऐसी गैर मामूली कहानियां सामने आती हैं। इनमे से कुछ पहाड़ों की वादियों से होती हुी हम तक पहुंच जाती हैं और कुछ वहीं की वादियों में इंसानी हिम्मत की मिसाल बनकर अमर हो जाती है।