देहरादून। सूबे के आयुर्वेदिक अस्पतालों में पिछले साल से अधोमानक दवाओं का खुलेआम वितरण होता रहा। जब इन दवाओं की जांच रिपोर्ट आई तब जाकर पता लगा कि जो दवाएं अस्पतालों को वितरण के लिए दी गई थी वे मानकों पर खरी नहीं थी।
साल 2016-17 में आयुर्वेद निदेशालय की ओर से मै. आईएम केरल की खादिरारिष्ट और मै. रिसर्च सेंटर वैन परिषद बरखेड़ा, भोपाल, मध्य प्रदेश की श्वेत पर्पटी का वितरण प्रदेश के आयुर्वेदिक अस्पतालों में किया था। सूत्रों की मानें तो अस्पतालों में चिकित्सक मरीजों को इन दवाओं को लगातार लिखते रहे। हालांकि 5 सितंबर 2017 को निदेशालय की ओर से जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि आयुर्वेदिक औषधि परीक्षण में यह दोनों दवाएं मानकों के अनुरूप नहीं मिली हैं। जिससे उनका वितरण तत्काल बंद किया जाए। इसी साल 2018 में बैजनाथ फार्मा पपरौला हिप्र की पुष्कर गुग्गलू को भी अधोमानक पाया गया। इसके वितरण पर भी रोक के निर्देश दिए गए। देहरादून के जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी केके सिंह ने बताया कि इसी 11 जून को उन्होंने जिले के सभी प्रभारियों को इन दवाओं के वितरण पर रोक लगाने के निर्देश दे दिए हैं।
कई बार उठे सवाल
प्रांतीय आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा सेवा संघ पूर्व में सरकारी सप्लाई में प्रयुक्त होने वाली कुछ दवाओं को लेकर अपनी आपत्ति जता चुका है। संघ का आरोप रहा है कि सैंपल फेल होने के बाद भी संबंधित कंपनियों द्वारा निम्न गुणवत्ता वाली दवा की आपूर्ति की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी मेसर्स रिसर्च सेंटर बरखेड़ा भोपाल की दवा खादिरारिष्ट का सैंपल गत वर्ष सितंबर में फेल हो चुका है।
बाजार पर भी नहीं नियंत्रण
इन दवाओं की सप्लाई न केवल सरकारी भंडार को की गई होगी बल्कि इन दवाओं का स्टॉक उसी अवधि में खुले बाजार में भी आया होगा। मान भी लिया जाए कि सरकारी वितरण पर रोक लगा दी गई होगी लेकिन खुले बाजार में यह दवाएं धड़ल्ले से बिकती रहीं। इस बारे में जब विभाग के निदेशक से पूछा गया तो उनका कहना था कि बाजार से विभाग का कोई लेना देना नहीं। ऐसे में सवाल यह कि अगर बाजार पर विभाग का नियंत्रण नहीं है तो निजी दुकानों की निगरानी कौन करेगा। जाहिर बात है कि ऐसे में लोग पिछले लंबे समय से यह अधोमानक दवाएं खाकर अपनी सेहत और खराब करने का काम कर रहे हैं। दीगर है कि एलोपैथ दवाओं की सैंपलिग का काम बकायदा स्वास्थ्य महानिदेशालय के अंतर्गत स्टेड ड्रग एवं लाइसेंसिंग अथॉरिटी की ओर से हर जिले में किया जाता है।
ये हैं दवाओं के उपयोग
गुग्गल: इसके प्रयोग से पेट की गैस, सूजन, दर्द, पथरी, बवासीर, पुरानी खांसी, दमा, जोड़ों का दर्द, फेफड़े की सूजन अादि।
श्वेत पर्पटी: इसका इस्तेमाल पेशाब करने में कठिनाई, अपच दूर करने आदि में होता है। गुर्दे के रोग में भी इसका इस्तेमाल होता है। खादिरारिष्ट: सभी तरह के त्वचा रोग, पेट की सूजन, ट्यूमर, पेट में कीड़े हो जाने और एनिमिया में इस्तेमाल।