चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे नैनीताल जनपद की युवा वैज्ञानिक प्राची और जितेश भी रहे हैं शामिल

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चंद्रयान

चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर सफल पदार्पण की सफलता में देश भर के वैज्ञानिकों के साथ नैनीताल जनपद के युवाओं, युवा वैज्ञानिक प्राची बिष्ट और जितेश धारियाल भी शामिल रहे।

प्राची नैनीताल जनपद के गौलापार स्थित चोरगलिया के ग्राम गोविंद पुर की रहने वाली हैं। उनके पिता खड़क सिंह बिष्ट भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त हैं। नेहा इसरो में वैज्ञानिक हैं और इसरो की अन्य परियोजनाओं के साथ ही वह चंद्रयान अभियान में भी शामिल रही हैं। उनके दादा आन सिंह बिष्ट किसान रहे हैं। चंद्रयान की सफलता पर प्राची को भी देश भर के साथ खासकर उत्तराखंड से लगातार बधाई मिल रही हैं।

प्राची के पिता खड़क सिंह बिष्ट ने बताया कि उनके भारतीय नौसेना में रहते प्राची ने हाईस्कूल की पढ़ाई केरल से और उनकी सेवानिवृत्ति के बाद 11वीं और 12वीं हल्द्वानी के सेंट थेरेजा से की है। आगे जेई एडवांस में क्वालीफाई करने के आधार पर उनका चयन इसरो में में हो गया था। इसके बाद उन्होंने 2013 से इसरो द्वारा ही संचालित आईआईएसटी यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी तिरुवनंतपुरम से पढ़ाई की और 2019 से इसरो के बंगलुरु केंद्र में कार्यरत है। चंद्रयान अभियान के दौरान दिन-रात डाटा पर नजर रखने का कार्य उन्हें मिला था।

इनके अलावा नैनीताल जिले के हल्दूचौड़ के दुर्गापालपुर मोतीराम के रहने वाले जितेश धारियाल भी चंद्रयान-3 के अभियान से जुड़े रहे हैं। जितेश का चयन पिछले वर्ष 9 जून 2022 में इसरो में हुआ था। वह इसरो में मैकेनिकल वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं। सेंचुरी पेपर मिल से सेवानिवृत्त जितेश के पिता कैलाश धारियाल ने बताया कि चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग के दिन उनका बेटा मिशन के प्रमुख हिस्से में शामिल था। जितेश ने इंटरमीडिएट की पढ़ाई आर्यमन विक्रम बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ लर्निंग हल्द्वानी से और एनआईसी कुरुक्षेत्र से बीटेक किया है।