उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को ‘रद्दी की टोकरी में डालने योग्य’ कहा

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    उत्तराखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक प्रस्ताव को ‘रद्दी की टोकरी में डालने योग्य’ बताया है। यह वह विवादित प्रस्ताव है जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय के 48 ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ श्रेणी के अधिवक्ताओं को ‘उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं से अधिक मेधावी’ बताते हुए देशभर के उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लिए भी इन्हीं में से तीन न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।

    रविवार को उत्तराखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवतार सिंह रावत ने उच्च न्यायालय परिसर में पत्रकार वार्ता में हुए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रस्ताव को ’मजाक’, ‘हास्यास्पद’ और ‘रद्दी की टोकरी में डालने योग्य’ बताया। उन्होंने कहा कि वह स्वयं 35 वर्ष सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर चुके हैं, और सूची में शामिल 48 में से कई अधिवक्ताओं की ‘मेधा’ को जानते हैं, जो जीवन में कभी न्यायालय के भीतर प्रैक्टिस करने ही नहीं गए। लिहाजा, उनसे राज्यों के पारंपारिक कानूनों एवं सामाजिक व्यवस्था की जानकारी की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। वैसे भी देश में 1993 के कानून के तहत उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के कोलेजियम द्वारा योग्य अधिवक्ताओं को चिन्हित कर न्यायाधीश बनाने का अधिकार है। इसलिए इस तरह की किसी सिफारिश की कोई कानूनी मान्यता नहीं है।

    उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नया उच्च न्यायालय होने के बावजूद, अंग्रेजी की कमी के बावजूद कानूनी ज्ञान के तौर पर अधिक बुद्धिमान हैं। उन्होंने कहा कि वह उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय से ऐसी किसी सिफारिश पर विचार न करने के लिए एवं इसे रद्दी की टोकरी में डालने को कहेंगे।