उमा भारती गंगोत्री से गंगासागर की पदयात्रा के दौरान हुईं चोटिल 

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ऋषिकेश,  गंगोत्री से गंगासागर तक साढे़ पांच महीने तक पदयात्रा का संकल्प कर निकलीं पूर्व केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती के गोमुख से ऋषिकेश तक साढे़ 300 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर पहुंचने पर जहां संतों ने उनका भव्य स्वागत किया। वहीं उमा भारती ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित ब्रह्मपुरी स्थित श्रीराम तपस्थली आश्रम में बाथरूम से बाहर आते हुये फिसल जाने से घायल हो गईं, जिन्हें सोमवार की सुबह जॉली ग्रांट स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट में उपचार को भर्ती कराया गया है।
केंद्रीय मंत्री व भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती जॉली ग्रांट से पुनः ब्रह्मपुरी स्वास्थ्य लाभ लेकर पहुंच गई हैं। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने वहां पर उनका भव्य स्वागत किया। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ आए हुए ग्वालियर मध्य प्रदेश मुरैना छत्तीसगढ़ अनेकों जगहों के समर्थकों को आशीर्वाद दिया।
साध्वी उमा भारती ने कहा कि आज पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाना बहुत जरूरी है जिससे कि हम अपने आसपास के वातावरण को प्रदूषण मुक्त के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ के लिए भी उपयोगी बना सकते हैं।  सभी संतों का आशीर्वाद मुझ पर है और मैं जल्द स्वस्थ होकर अपनी यात्रा प्रारंभ करूंगी।  राम आश्रम में गंगा की आरती व मंदिर परिसर में सत्संग भी किया। उन्होंने इस यात्रा को जनमानस जन समुदाय को समर्पित करते हुए कहा कि यह यात्रा सुख शांति समृद्धि के लिए उपयोगी है। 
ब्रह्मपुरी राम तपस्थली के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी दया राम दास महाराज ने कहा कि साध्वी उमा भारती का इस आश्रम से जन्म जन्मांतर उनका रिश्ता रहा है । यात्रा के दौरान उनका यहां आना कोई आश्चर्यजनक नहीं है उनके द्वारा लगाए गए रुद्राक्ष व आम अमरूद बेल छायादार एवं फलदार वृक्ष लगाए गए और सभी ने उनके साथ मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए संकल्प लिया।
बताया गया कि उमा भारती श्री राम तपस्थली आश्रम में बाथरूम से बाहर निकलते हुए फिसल गई थीं जिससे उनकी ऐंडी में चोट आई है। यह जानकारी अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हरीश द्विवेदी ने देते हुए बताया कि चोट के कारण उनके पांव में सूजन भी आ गई है, उन्हें आराम की सलाह दी गई है । उमा भारती का कहना था कि यह पदयात्रा उनकी निजी यात्रा है। इसे निकाले जाने का उन्होंने स्वयं संकल्प किया था। इस यात्रा को देखते हुए उन्होंने एक बार अपने को लोकसभा चुनाव से ही मुक्त रखा है।
उमा भारती गोमुख से ऋषिकेश से 350 किलोमीटर की पदयात्रा कर चुकी हैं जिसमें 70 किलोमीटर चढ़ाई यात्रा डोली के माध्यम से की गई है। उनका कहना था कि इस यात्रा के दौरान वह कहीं भी मां गंगा का रास्ता नहीं काटेंगी, जरूरत पड़ेगी तो वह रास्ता बदलकर यात्रा को पूरा करेंगी। यात्रा को पूरा करने के लिए उनका साढे़ 5 महीने का समय लगेगा। इस यात्रा में वह संतों का सानिध्य भी प्राप्त कर रही हैं ।