देहरादून। उत्तराखंड की राज्यपाल एवं राजकीय विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य ने गुरुवार को राजभवन में कुलपतियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की। सम्मेलन में शिक्षा की गुणवत्ता और संसाधनों को बढ़ाने पर विचार विमर्श हुआ।
राजभवन में आयोजित हुए सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों के सभी निर्णयों और गतिविधियों का केंद्र, रिसर्च और रोजगार ही होना चाहिए। राज्य विश्वविद्यालयों को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में शीर्ष पचास विश्वविद्यालयों में होने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। राज्यपाल ने अपर मुख्य सचिव को विश्वविद्यालयों की ऐसी समस्याएं जिन पर शासन स्तर से कार्यवाही अपेक्षित है, उनका निस्तारण तीन माह की अवधि में करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन समस्याओं के समाधान में कोई तकनीकि विलम्ब हो रहा है, उनके विषय में कुलपति को भी अवगत कराया जाए।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने चुने हुए रिसर्च के क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में काम करना चाहिए। इसके साथ ही, विश्वविद्यालयों को नीति बनाने में भी सरकार की सहायता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी से सम्बन्धित विश्वविद्यालयों को उत्तराखण्ड के पर्वतीय इलाकों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। तकनीकी विश्वविद्यालय राज्य में स्टार्ट-अप उद्योगों के लिए मॉडल विकसित करने पर काम कर सकता है। राज्यपाल ने पीएचडी की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने पर भी जोर दिया। शोध कार्य के माध्यम से, समाज की दीर्घकालिक समस्याओं को हल करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रमों को उद्योगों की जरूरतों के अनुसार डिजाइन किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों में शोध कार्यों (पीएचडी) की गुणवत्ता पर रिपोर्ट देने के लिए राज्यपाल के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। समिति में सदस्य के रूप में कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. यूएस रावत, महानिदेशक यूकोस्ट डाॅ. राजेन्द्र डोभाल तथा अपर सचिव उच्च शिक्षा डाॅ. अहमद इकबाल शामिल हैं। राज्यपाल ने बिना मानकों के काॅलेजों की संबद्धता पर सख्त रूख अपनाते हुए कहा कि संस्थानों के संबद्धीकरण के प्रस्तावों को काॅलेजों में मूलभूत सुविधाओं और मानकों को सुनिश्चित किए बिना कुलाधिपति के कार्यालय में नहीं भेजा जाए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के निर्माण में सौर ऊर्जा और वर्षा जल संचयन के उपयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसे चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जा सकता है।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में रिक्त फैकल्टी पदों पर योजनाबद्ध रूप से पूरी पारदर्शिता के साथ नियुक्ति के निर्देश दिए। उच्च शिक्षा विभाग को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय को नए पदों के सृजन की अनुमति शीघ्र प्रदान करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने विश्वविद्यालयों द्वारा सामाजिक जागरूकता के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रगति के आँकड़े भी तलब किए। सभी विश्वविद्यालय आपदा प्रबन्धन के प्रशिक्षण कार्यों में भी योगदान दें। प्रदेश को पाॅलीथीन मुक्त करने में योगदान करें। उन्होंने कहा कि सभी कुलपति अपने विश्वविद्यालयों के लक्ष्यों को समयबद्ध रूप से पूरा करें।
विश्वविद्यालय राजभवन को हर महीने एक समरी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक कॉमन वेब पोर्टल बनाया जाए। दून विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद विश्वविद्यालय से समन्वय कर योग प्रशिक्षितों के लिए जर्मन, स्पैनिश, जापानी आदि विदेशी भाषाओं के कोर्स चलाए जाएं, जिससे उन्हें विदेशों में रोजगार मिल सके। चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा शीघ्र ही स्कूल आॅफ हेल्थ केयर एडमिनिस्ट्रेशन प्रारम्भ किया जायेगा। सम्मेलन के दौरान, परीक्षाओं, परिणाम और दीक्षांत समारोहों के कैलेंडर पर चर्चा की गई। इसके साथ, विश्वविद्यालयों में प्रवेश और नियुक्तियों और विश्वविद्यालयों के सामाजिक दायित्वों से संबंधित गतिविधियों पर भी चर्चा की गई। विशेष रूप से, ग्रामीण इलाकों में पलायन रोकने, किसानों के साथ सहयोग, पर्यावरण संरक्षण और गोद लिए हुए गांवों में विश्वविद्यालयों के प्रयासों की समीक्षा की गई। सिलेबस, क्वालिटी रिसर्च, कॉलेजों के संबद्धीकरण से सम्बन्धित विभिन्न मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। सचिव राज्यपाल आरके सुधांशु ने सम्मेलन की कार्यवाही संचालित की। सम्मेलन में सभी राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति, अपर मुख्य सचिव डाॅ. रणवीर सिंह, ओम प्रकाश, सचिव अमित नेगी, नितेश झा, डी सेंथिल पांडियन एवं इंदुधर बौड़ाई भी उपस्थित थे।
कुलपति सम्मेलन में लिए गए अहम निर्णय
– शासन स्तर पर विश्वविद्यालयों के लम्बित प्रकरण तीन माह में निस्तारित हों।
– शोध कार्यों में गुणवत्ता पर रिपोर्ट के लिए समिति का गठन।
– बिना मानकों के काॅलेजों की सम्बद्धता पर अपनाया जाए सख्त रूख।
– सभी विश्वविद्यालय आपदा प्रबन्धन के प्रशिक्षण कार्यों में भी योगदान दें।
– विश्वविद्यालयों को हर महीने एक समरी रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश।
– सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक कॉमन वेब पोर्टल बनाया जाए।
– योग प्रशिक्षितों के लिए विदेशी भाषाओं के कोर्स चलाने के निर्देश।
– विश्वविद्यालय रोजगारपरक सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों को प्रोत्साहन दें।
– विश्वविद्यालय नीति निर्माण में करें सरकार की सहायता।
– अपने चुने हुए रिसर्च क्षेत्रों में बनें सेंटर आॅफ ऐक्सीलेंस।
– रिक्त फैक्लटी पद पारदर्शी तरीके से भरे जायं।