रुद्रप्रयाग, “कुछ ही दिनों की बात च भैजी, भीतर रोण मा हर्ज भी नी च, अपरु कुटुम अर मुलुक बचोण, हमरु तुमरु फर्ज भी वी च, बात य बतोणे च समझौण बुझौण च, चौदह दिन तक हमुन भीतर ही रौण च, फिर से संभलली अर्थ व्यवस्था” – जैसी कविताओं से कोरोना महामारी में लोगों को जागरुक व धैर्य बंधाने का संदेश दिया जा रहा है। ये सभी कविताएं गढ़वाल की सुप्रसिद्ध कवयित्री उपासना सेमवाल ने लिखी और गायी भी हैं।
– प्रशासनिक वाहनों से उपासना की कविताओं को प्रसारित कर लोगों को किया जा रहा जागरूक
कोरोना काल में जन-जन को कविताओं से जागरुक कर कवयित्री उपासना सेमवाल कोरोना योद्धा की भूमिका निभा रही हैं। उनकी ओर से लिखी गई गढ़वाली कविताओं से बाहर से लोगों को घर में रहकर सुरक्षित रहने और कोरोना संकट से लड़ने के लिए सचेत किया जा रहा है। उनकी इस पहल की हर कोई व्यक्ति प्रशंसा कर रहा है। कवयित्री उपासना सेमवाल की इन कविताओं से लोगों में जागरूकता आ रही है। बाहरी प्रदेशों से आ रहे लोग घरों में रहकर अपने साथ ही दूसरों को भी सुरक्षित रख रहे हैं। कवयित्री की कविताएं लोगों को जागरूक करने के साथ ही प्रेरित भी कर रही है। प्रशासनिक वाहनों में जनजागरूकता को लेकर ये कविताएं चलाई जा रही हैं। वाहनों से संदेश दिया जा रहा है कि जो लोग बाहर प्रदेशों से आ रहे हैं वे सरकार के नियमों का पालन करते हुए एकांतवास में रहें।