जी.बी पंत यूनिर्वसिटी से प्लांट पैथालाॅजी में पीएचडी की उपाधि लेने वाली ऊषा, हल्द्वानी में पली-बड़ी ।पीएचडी रिसर्च में एडमिशन लेने से पहले ऊषा ने पौड़ी डिग्री कालेज में एक साल तक बाॅटनी पढ़ाई। शादी के बाद ऊषा टीचिंग छोड़कर अपने पति आईएएस मंगेश घिल्डियाल जो आजकल रुद्रप्रयाग के डीएम पद पर पोस्टेड हैं उनके साथ रहने लगीं।
लेकिन एक बार फिर ऊषा ने अपना जूनून, यानि टीचिंग शुरु करने की ठानी। ऊषा की इस पहल ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है। लेकिन शादी के 4 साल बाद एक बार फिर ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने टीचिंग शुरु कर दी? आपको बतादें कि इस बार ऊषा ने अपने लिए टीचिंग अपने लिये नहीं बल्कि दिल छू जाने वाले कारण से शुरू की।
न्यज़पोस्ट से एक्सक्लूसिव बातचीत में ऊषा कहती हैं कि ‘मैं अपने पति के साथ जीजीआईसी कैंपस रुद्रप्रयाग में निरीक्षण के लिए गई थी जब मुझे स्कूल के प्रिसिंपल ने बताया कि स्कूल के क्लास 9-10वी के बच्चों के लिए साइंस का कोई अध्यापक नहीं है।’ उषा ने बताया कि, यह दो साल स्कूल के बच्चों के लिए सबसे मुश्किल और सीखने वाले साल होते हैं, ऐसे में टीचर का ना होना बहुत बड़ी समस्या है। यह सोच कर मैं अपने आप को रोक नहीं पाई और जब तक स्कूल में स्थायी टीचर की पोस्टिंग नहीं हो जाती तब तक मैंने बच्चों को फिजिक्स,कैमिस्ट्री और बायोलाजी पढ़ाने का फैसला लिया।’
उनकी इस निस्वार्थ सेवा से ना केवल वो लोग प्रभावित हुए हैं जिनको इसका सीधा फायदा मिल रहा हैं, बल्कि जिस किसी ने ऊषा के बारे में पढ़ा वह प्रशंसक बन गया।ऊषा क्लास 9-10वीं के कुल 80 स्टूडेंट को दिन में चार घंटे पढ़ाती हैं, वो कहती हैं कि मैं बच्चों को पढ़ाकर अच्छा महसूस करती हूं, ‘मुझे बहुत अच्छा लगता है छोटे बच्चों के बीच समय बिताकर और उनको पढ़ाकर।’
जिले के डीएम की पत्नी को शायद काम करने की कोई जररूत नहीं थी, लेकिन ऊषा ने अपने जज्बे से ये साफ कर दिया है कि अपने आसपास के लोगों की मदद करने और समाज में बदलाव लाने के लिये पद और सामर्थ का जरूरत नहीं है। हम सबको ऊषा घिल्डियाल से सीखने की जरुरत हैं, जो बिना किसी स्वार्थ के जरुरतमंद बच्चों की मदद कर रही हैं।