उत्तरकाशी जिले में प्रशासन की एक नई पहल ने स्वच्छ उत्तरकाशी की तरफ सफर शुरू कर दिया है। इस मुहिम के तहत सभी विभागों को प्लास्टिक फ्री ज़ोन बनाने के लिये इको फ्रेंडली रिगांल से बने डस्टबिन सभी कार्यालयों में लगाये गये हैं।
इस कवायद के लिए डीएम डॉ आशीष कुमार चौहान ने बताया कि, “पर्यावरण के लिए भी यह अच्छा संदेश है वहीं जब हम सब इसे अपने जीवन में पूरी तरह अपना लेंगे तो प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन भी लग पाये।”
इसके लिये बांस परिषद के कर्मचारियों से मदद ली गई। बांस परिषद के कोऑर्डिनेटर विपिन पंवार ने न्यूजपोस्ट को बताया, “उत्तरकाशी के भटवारी, डुंडा,मोरी व पुरोला ब्लॉक में कम से कम 100-1200 काश्तकार हैं जो रिगांल से उत्पाद बनाते हैं। यह पहल उनके लिये भी अच्छी खबर है। रोज़गार के साथ साथ उन्हे पर्यावरण के लिये भी कुछ करने को मिलेगा।”
उत्तराखंड के जंगलों मे पाया जाने वाला रिंगाल एक ऐसा पेड़ है जो कि पारंपरिक रूप से स्थानियों लोगों द्वारा उपयोग में लाया जाता था, लेकिन प्लासटिक के आने से लोग इसे कुछ हद तक भुला चुके थे, लेकिन डीएम और बांस परिषद के प्रयासों से इस खोई कला को दोबारा से इस्तेमाल में लाया जा रहा है।
इस काम के लिये दो तरह के डस्टबिन बनाये गये थे जिनमे से प्रशासन ने एक सैंपल को फाइनल किया। इस तैयार बिन की कीमत 180-200 रुपये के बीच है और फिलहाल करीब 150 ऐसे डस्टबिन बनाये जा रहे हैं। काश्तकारों को एक डस्टबिन बनाने में करीब 1-2 दिन का समय लगता है औऱ इन दिनों ये काम ज़ोरों पर चल रहा है।
इसके अलावा प्रशासन द्वारा गंगोत्री और यमुनोत्री आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को मंदिर का प्रसाद भी रिंगाल से बनी टोकरियों में देने के बारे में विचार किया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो ये उत्तरकाशी और उत्तराखंड को स्वच्छ बनाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।