उत्तराखंड में उद्यम स्थापित करने और संचालित करने के लिए सरकार बेहतर माहौल मुहैया करा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को नागपुर में राज्य में निवेश के सम्बन्ध में विदर्भ इण्डस्ट्रियल एसोसिएशन के सदस्यों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उद्योगों की स्थापना तथा व्यवसाय के लिए सुगम वातावरण बनाने के लिए भारत सरकार की ‘ईज ऑफ डूईंग बिजनेस’ नीति के तहत काम कर रही है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार की 2016 की रैंकिंग में उत्तराखण्ड हिमालयी राज्यों में प्रथम स्थान और देश में प्रथम 10 राज्यों में शामिल है। राज्य ने सुधार क्षेत्रों में 10 में से 07 क्षेत्रों में शत प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त की है।
मंगलवार को नागुपर में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ‘उत्तराखण्ड एकल खिड़की सुगमता एवं अनुज्ञापन व्यवस्था’ लागू है। सिंगल विंडो सिस्टम के तहत प्राप्त आवेदनों के निस्तारण एवं निगरानी के लिए राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय प्राधिकृत समिति और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला प्राधिकृत समिति का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि एकल खिड़की व्यवस्था के तहत राज्य एवं जिला प्राधिकृत समिति सभी निर्णयों लेने में पूर्णतः सक्षम है। 10 करोड़ रूपये तक की परियोजनाओं के प्रस्तावों पर जिला स्तर पर ही सभी स्वीकृतियां सुनिश्चित कराई जाती हैं। उद्यमियों की सुविधाओं हेतु उद्योग निदेशालय स्तर पर इन्वेस्टर फैसिलिटेशन सेंटर की स्थापना की गई है। राज्य में स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए ‘उत्तराखण्ड राज्य के स्टार्ट-अप नीति-2017’ बनाई गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य में पूंजी निवेश और रोजगार बढ़ाने के लिए एमएसएमई नीति स्वीकृत की गई है। बड़े उद्यमों के लिए अलग से ‘मेगा इण्डस्ट्रियल एण्ड इन्वेस्टमेंट पालिसी’ तथा ‘मेगा टैक्सटाइल पार्क पालिसी’ लागू की गई है। इसके अलावा, एक्सकार्ट फार्म, काशीपुर में नालेज हब, प्रदूषण रहित उद्योग की स्थापना तथा भारत सरकार के सहयोग से सितारगंज में 40 एकड़ भूमि पार्क की स्थापना का कार्य चल रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने एसोसिएशन के सदस्यों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार अपनी नीतियों के साथ-साथ निवेशकों के लिए संस्थागत सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार संस्कृति ग्राम विकसित करने के लिए योजना बना रही है, जिससे पर्यटकों को राज्य की विशेषताओं, संस्कृति, रहन-सहन एवं पारम्परिक पोषाकों तथा शिल्प की झलक एक स्थान पर मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य के कई क्षेत्रों में कलस्टर विकास की प्रबल सम्भावनाएं है। कृषि आधारित उद्योग, ईको-टूरिज्म, साहसिक खेलों, बागवानी, आरोग्य केन्द्र, औषधीय तथा सुगंधित पौंध आधारित उद्योग, फूलों की खेती, जैविक उत्पादों की खेती आदि की स्थापना से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित किए जा सकते हैं।
विदर्भ इण्डस्ट्रियल एसोशियेशन ने एग्रो, पर्यटन, प्लास्टिक तथा पैकेजिंग उद्योगों की स्थापना में निवेश की इच्छा व्यक्त की। इस अवसर पर विदर्भ इण्डस्ट्रियल एसोशियेशन के अध्यक्ष अतुल पाण्डे, उपाध्यक्ष सुरेश राठी, मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ. केएस पंवार, अपर निदेशक उद्योग एससी नौटीयाल, विशेष कार्याधिकारी मुख्यमंत्री अभय रावत, अर्नस्ट एंड यंग के कन्सल्टेंट कनन विजय उपस्थित रहे।