तराई में बिखरी पहाडी की संस्कृति की छटा

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रुद्रपुर, उत्तरायणी मेले में पारम्परिक वाध्य यंत्रों के साथ ही पारमपरिक वेष भूषा के साथ गीतों की जुगलबंदी से पहाड़ी संस्कृति छटा तराई में देखने को मिली। गीत संगीत से सजी इस महफिल ने लोगों को पहाड़ की संस्कृति से रूबरू कराया। इस दौरान कलाकारों ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी।

पर्वतीय संस्कृति पर आधारित लोक नृत्य और लोक गायक शेखर अधिकारी के गीतों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राज्य की नंदा राजजात यात्रा की झांकी लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। रुद्रपुर में शैल सांस्कृतिक समिति की ओर से 20 सालों से उत्तरायणी महोत्सव मनाया जा रहा है।

गांधी पार्क के विशाल मैदान में स्थानीय कलाकारों ने सभी का दिल जीत लिया। गीत संगीत के बीच सुरों का जमकर धमाल देखने को मिला। पीएसी रुद्रपुर की बैंड टोली और सोर घाटी पिथौरागढ की टोली ने छोलिया नृत्य प्रस्तुत कर सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोक गायक शेखर अधिकारी, न्यू वुडलैंड एकेडमी, स्पार्क मिंडा, अशोक मिंडा ग्रुप और परिवर्तन सेवा समिति चकरपुर खटीमा की रंगारंग प्रस्तुति ने धमाल मचाया। महोत्सव में व्यापारिक स्टाल, औद्योगिक स्टॉल, खानपान के स्टॉल और पर्वतीय खाद उत्पादों का मेले में पहुंचे लोगों ने जमकर खरीदारी की।