जीवन की कभी न खत्म होने वाली दौड़ में भागते भागते इंसान जब थक जाता है, हताश हो जाता है, तो मन में सैंकड़ों सवाल उसे घेर लेतें हैं। लेकिन कहीं से भी जवाब न मिल पाने के कारण वो परेशानी और डिप्रेशन के दलदल घुसता चला जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आध्यात्म के पास मिल सकते हैं आपके सभी सवालों के जवाब। फिर चाहे खोए विश्वास को जगाना हो या अपने होने के असली मकसद को पाना हो, योग, ध्यान, सात्विक भोजन और शांत वातावरण से ये सब कुछ संभव है। यही वजह है कि उत्तराखंड के आश्रमों का रुख सिर्फ बुज़ुर्ग ही नहीं बड़ी तादाद में दुनिया भर के युवा भी कर रहें हैं। जिनमें सबसे बड़ा नाम शामिल है ऐपल के मालिक स्टीव जॉब और फेसबुक के को फाउन्डर मार्क ज़ुकरबर्ग का, ये बात पहली बार सुनो तो चौका सकती है।
चलिए रूख करते हैं उत्तराखंड के उन आश्रमों का जो दुनिया भर में अपनी पोजिटिव एनर्जी के लिए मशहूर हैं।
- कैंची धाम आश्रम
सबसे पहले बात करते हैं कैंची धाम की जिसे फेसबुक के मार्क ज़ुकरबर्ग अपनी सफलता का राज़ मानते हैं.. मार्क यहां पहली बार 2008 में स्टीव जाब के मशवहरे पर आए, उन दिनों फेसबुक अपने बुरे दिन देख रहा था। मार्क की खस्ता हालत में उम्मीद की किरण जगाई नीम करौली बाबा ने। कैंची धाम आश्रम में बिताए एक महीने ने उनकी आत्मा में नई जान डाल दी। आज फेसबुक की बुलंदियो को कौन नहीं जानता। मार्क ने ये बात पहली बार 2015 में भारत दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज़ाहिर की। फिर क्या था दुनिया भर में ये कहानी जंगल की आग की तरह फैल गई। दुनिया भर के छोटे बड़े दिग्गज अपनी किस्मत बदलने की उम्मीद से यहां आते हैं। नीम करौली बाबा का ये आश्रम नैनीताल से 65 किलोमीटर दूर पंतनगर के पास है। इस आश्रम में रहने के लिए चिट्ठी लिखकर अनुमति मांगनी पड़ती है। यहां के सात्विक भोजन, योग और ध्यान से यकीनन पूरे शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- पर्माथ निकेतन, ऋषिकेश
पर्माथ आश्रम 8 एकड़ में फैला है। 1000 कमरों वाले इस आश्रम में दुनिया भर से लोग योग सीखने आते हैं। यहां के शांत और अनुशासित माहौल में रहकर अपने को शारिरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ महसूस करते हैं। विदेशी पर्यटकों के मुताबिक यहां गंगा किनारे शाम की आरती नहीं देखी तो क्या देखा। अधिक जानकारी के लिए आप www.parmarth.org पर लॉग ऑन कर सकते हैं
3 आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम, टिहरी
दुनिया में श्री श्री रविशंकर के बहुत से आश्रम हैं। जिनमें से सबसे खास है फैगुल टिहरी गढ़वाल में स्थित आर्ट ऑफ लिविंग। पावन गंगा के किनारे इस आश्रम में लोग अद्भुत शांति की अनुभूति करते हैं। योग, साफ सुधरा रहना और सात्तविक खाना बहुत ही सस्ते दामों में मिल जाता है। अधिक जानकारी के लिए लॉग ऑन करें www.artofliving.org पर
सिवानंद आश्रम, ऋषिकेश
सिवानंद आश्रम भारत की सबसे मशहूर योगशालाओं में से एक है।यहां योगा की ट्रेनिंग से लेकर रहना खाना पीना मुफ्त में मिलता है। लेकिन यहां प्रवेश सिर्फ उन्हीं को मिलता है जो आध्यात्म और योग सीखने की इच्छाशक्ति रखते हैं। परंतु कमसेकम 1 महीना पहले अनुमति लेनी ज़रुरी है। www. Sivanandaonline.org
द बीट्ल्स, ऋषिकेश
इस आश्रम की कहानी भी काफी दिलचस्प है। 1967 में जब गुरु महर्षि महेश योगी लंदन में योग और ध्यान का प्रचार करने गए तो उस ज़माने के मशहूर बैंड द बीट्ल्स उनसे खूब प्रभावित हो गए। उन दिनों बीट्ल्स मीडिया के दबाव से तनाव में थे, 1968 में योग और ध्यान सीखने के लिए वे ऋषिकेश आए। उन्होंने महर्षि की छत्र छाया में अपने जीवन को स्थिर किया। शांत वातावरण में गाने लिखे और संगीत बनाया। तब से इस आश्रम का नाम द बीट्ल्स पड़ गया। 1984 में ज़मीन के विवाद के चलते ये आश्रम 14 साल तक बंद रहा। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए इसे हाल ही में फिर से खोला गया है। यहां भारतीय नागरिकों को रु150 और विदेशियों को रु 600 प्रतिदिन की फीस देनी होती है। आश्रम का सबसे बड़ा आकर्षण है दीवारों पर बनी द बीट्ल्स बैंड पेंटिंग्स।
उत्तराखंड को वर्ल्ड योग कैपिटल के नाम से भी जाना है। यहां कुछ समय बिताकर आप आध्यात्म से मिली नई स्फूर्ति और ताकत का इस्तेमाल अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सही फैसले लेने के लिए कर सकते हैं।