कोरोना काल में उत्तराखंड कांग्रेस कई मुद्दों पर लगातार आंदोलनरत है। मगर पार्टी के कई बडे़ नेता ऐसे भी हैं जो जनता से जुड़ने के लिए अलग राह पर हैं। इन नेताओं के जनसंवाद का तरीका काफी हद तक व्यक्तिगत है। पार्टी नेतृत्व को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आ रही पर राजनीतिक जानकारों को बडे़ नेताओं के अलग-अलग कार्यक्रम करने के पीछे गुटबाजी बड़ी वजह दिखती है।
प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ज्वलंत मुद्दों पर आंदोलन के हथियार को पकडे़ हुए हैं। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस की आंदोलनात्मक गतिविधियां बढ़ी हैं। महंगाई के विरोध में कांग्रेस के सड़कों पर निकलकर आंदोलन करने के बाद तो पुलिस को नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करना पड़ा है। इन स्थितियों के बीच कांग्रेस के तमाम बडे़ नेता या तो कहीं दिखाई ही नहीं दे रहे हैं, या फिर अपने अंदाज में जनसंवाद कर रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व सीएम हरीश रावत सोशल मीडिया पर लोगों से जुड़ रहे हैं। फेसबुक लाइव पर उनका जोर है।
-प्रीतम सिंह के साथ बड़ी टीम कर रही आंदोलन -हरीश रावत, किशोर के साथ अन्य नेताओं के अपने-अपने कार्यक्रम
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पहले से ही वनाधिकार आंदोलन के तहत उत्तराखंड विमर्श में जुटे हैं। अब उन्होंने टिहरी के अपने गांव में डेरा डालकर जनसंवाद शुरू करने का ऐलान कर दिया है। इस कार्यक्रम का कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है। एनडी तिवारी सरकार में दर्जाधारी रहे धीरेंद्र प्रताप भी इसी तरह की तैयारी कर रहे हैं। उनके गृह ब्लाक नैनीडांडा के प्रधानों ने कुछ मांगों को लेकर आवाज उठाई तो धीरेंद्र प्रताप अब उनके समर्थन में सत्याग्रह करने जा रहे हैं। इस कार्यक्रम का भी फिलहाल कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है।
इन स्थितियों के बीच कांग्रेस नेतृत्व अपने नेताओं के इस तरह के कार्यक्रमों को लेकर उनसे उलझने के मूड में नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी के अनुसार पार्टी के नेता जनता के हित में ही आवाज उठा रहे हैं, फिर चाहे माध्यम कोई सा भी क्यों न हो। इसमें कोई बुराई नहीं है और ये कदम पार्टी को ही मजबूत करेगा। ठीक इसके उलट राजनीतिक विश्लेषक योगेश कुमार का मानना है कि कांग्रेस के क्षत्रपों के बीच तालमेल नहीं है। वर्चस्व की लड़ाई लगातार जारी है। गुटबाजी चरम पर है। इसलिए ऐसे तमाम कार्यक्रम भी सामने आ रहे हैं, जो कि पार्टी के आधिकारिक कार्यक्रम नहीं हैं।