उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के पॉजिटिव केस मिलने और संक्रमित लोगों की मृत्यु दर का औसत राष्ट्रीय औसत के मुकाबले कम है। इसके साथ ही राज्य में इसके डबलिंग रेट में भी सुधार हो रहा है, इसलिए राज्य को लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। इसकी रोकथाम के लिए राज्य सरकार पूरी तरह से ढांचागत तैयारी पहले ही कर चुकी है। यह जानकारी राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने आज यहां सचिवालय के मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दी।
- कोराना संक्रमण के डबलिंग रेट में सुधार, संस्थागत सुविधा केंद्रों में 14 हजार बेड उपलब्ध
- सचिवालय में आयेाजित प्रेस वार्ता में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने दी जानकारी
मुख्य सचिव ने बताया कि देश में कुल कोरोना पाॅजिटिव केस की संख्या 2 लाख के करीब पहुंच चुकी है जबकि हमारे राज्य में लगभग एक हजार है। इस तरह से देखा जाए तो देश की जनसंख्या में उत्तराखंड का प्रतिशत लगभग एक प्रतिशत है जबकि कोरोना पाॅजिटिव केस में 0.5 प्रतिशत है। उत्तराखंड में लगभग एक चौथाई कोरोना संक्रमित व्यक्ति ठीक हो चुके हैं। कुल एक्टिव केस गुरुवार दोपहर तक 746 हैं। कुल 7 संक्रमितों की मृत्यु हुई है, जो पहले से ही किसी न किसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त थे। कोरोना संक्रमित की मृत्यु दर का राष्ट्रीय औसत लगभग 2.83 प्रतिशत है जबकि उत्तराखंड में यह एक प्रतिशत से कम है। डबलिंग रेट में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। हमारे यहां सैम्पल के पाॅजिटिव होने की दर भी राष्ट्रीय औसत से कम है।
उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए कान्टेक्ट ट्रेसिंग बहुत महत्वपूर्ण है। अभी तक लगभग 4 हजार कान्टेक्ट ट्रेसिंग की गई है। प्रदेश में व्यवस्थाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। संस्थागत सुविधा केंद्रों में बेड की संख्या को बढ़ाकर लगभग 14 हजार किया जा चुका है। अभी हमारे यहां एक्टिव केस 746 हैं। आगे संख्या कुछ बढ़ने की आशंका है परंतु किसी तरह से हड़कम्प होने की स्थिति नहीं है। हमारी अच्छी तैयारी है। लगभग 95 प्रतिशत मामलों में किसी तरह के लक्षण नहीं होते या बहुत ही कम लक्षण होते हैं। अधिकांश मामलों की ट्रेवल हिस्ट्री रही है। स्वतः प्रसार जैसी स्थिति नहीं है।
मुख्य सचिव ने बताया कि हमने देश के 75 शहरों को वहां कोरोना मामलों की अधिक संख्या को देखते हुए चिह्नित किया है। यहां से जो भी व्यक्ति आएंगे, उन सभी को सरकारी एकांतवास में 7 दिनों के लिए रहना होगा। कोरोना जैसे लक्षण न दिखाई देने पर उन्हें घर जाने दिया जाएगा परंतु उन्हें अपने घर में और 14 दिन एकांतवास में रहना होगा। जो व्यक्ति इन चिह्नित स्थानों के अलावा दूसरे स्थानों से आएंगे उन्हें 14 दिन के लिए गृह एकांतवास में रहना होगा। दूसरे राज्यों से आने वाले और प्रदेश के भीतर एक जनपद से दूसरे जनपद में जाने पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रेड जोन से दूसरे स्थान पर जाने के लिए परमिट भी लेना होगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश में 2.60 लाख लोग मनरेगा में कार्य कर रहे हैं। 11 हजार नए जॉब कार्ड बनाए गए हैं। इनमें से 7 हजार लोगों को काम भी उपलब्ध कराया जा चुका है। इस अवसर पर सचिव (स्वास्थ्य) अमित नेगी भी उपस्थित थे।