उत्तराखंड की बेटी के खत पर बालिकाओं के लये खुले सैनिक स्कूल के द्वार

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अब तक सैनिक स्कूलों में सिर्फ बालकों को ही दाखिला दिया जाता था लेकिन अब बालिकाओं के लिए भी यहां एडमिशन लेने के लिए रास्ता साफ हो गया है। जो बेटियां सैन्य अधिकारी बन देश की सेवा करने का सपना देखती थीं अब वो भी यहां एडमिशन ले सकेंगी। सेना में जाकर देश सेवा करने का जज्बा रखने वाली बेटियों के लिए एक अच्छी खबर है। क्योंकि अब वे भी सैनिक स्कूल में पढ़ सकती हैं। इसको लेकर रक्षा मंत्रालय ने आदेश भी पारित कर दिया है।

देशभर में पांच सैनिक स्कूल है, उनमें से एक उत्तराखंड के घोड़ाखाल में स्थित है। घोड़ाखाल समेत देश के पांचों सैनिक स्कूलों में बालिकाओं की एडमिशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब यहां कक्षा छह में लड़कियां भी एडमिशन ले सकेंगी,बता दें कि अब तक सैनिक स्कूलों में सिर्फ बालकों को ही दाखिला दिया जाता था लेकिन अब बालिकाओं के लिए भी यहां एडमिशन लेने का रास्ता साफ हो गया है। हांलाकि, इस प्रक्रिया में उस वक्त तेजी आई जब उत्तराखंड के अल्मोड़ा में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रसन्ना छिमवाल ने बीती पांच अगस्त को रक्षा मंत्रालय, मानव संसाधन मंत्रालय और उत्तराखंड मुख्य न्यायाधीश को इस बारे में पत्र लिखा था।

इस पत्र के माध्यम से प्रसन्ना ने कहा था कि उत्तराखंड जैसे सैनिक बाहुल्य राज्य में सैनिक स्कूलों में बालिकाओं का एडमिशन इसी नए सत्र से शुरू कराया जाए। प्रसन्ना के पत्र का संज्ञान लेते हुए रक्षा मंत्रालय ने बीती 25 नवंबर को घोड़ाखाल समेत देश सभी पांच सैनिक स्कूलों में बालिकाओं के लिए 10 प्रतिशत कोटा निर्धारित कर दाखिला करने के आदेश दिए हैं। छिमवाल ने बताया कि उसका सपना सेना में जाकर देश सेवा करने का है, लेकिन जब पता चला कि लड़की होने की वजह से सैनिक स्कूल में एडमिशन नहीं हो पाएगा। इसके बाद छिमवाल ने भारत सरकार के संबंधित मंत्रायल को इस बारे में पत्र लिखा। जिसको भारत सरकार ने गंभीरता से लिया और देश के सभी सैनिकों में बालिकाओं के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का फैसला लिया।

वहीं अपनी लड़की के प्रयास की उनके पिता विनोद ने भी सराहना की और कहा कि ये देश की लड़कियों के लिए आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर है,जो लडकिया देश सेवा में जाना चाहती हैं वो सेना में जाकर देश की सेवा कर सकती है साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को सैनिक धाम कहा जाता है तो यहां पर एक और सैनिक स्कूल खुलना चाहिए।

केंद्र के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत ने भी प्रधानमंत्री का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि उन्होंने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत सैनिक स्कूल के द्वार बेटियो के लिए खोले है यह एक अच्छा निर्णय है इससे बहुत कुछ जो हमारी समाजिक मान्यताएँ है उससे लोगो की सोच में काफी परिवर्तन आएगा।