(देहरादून) मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बैंगलोर में आयोजित आठवें इनवेस्ट नाॅर्थ कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए उत्तराखण्ड में निवेश के लिए उद्यमियों को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में सेवा क्षेत्र विशेष तौर पर पर्यटन, बायो टेक्नोलाॅजी, नवीकरणीय ऊर्जा, फिल्म शूटिंग व सूचना प्रौद्योगिकी में निवेश की काफी सम्भावनाएं हैं। उत्तराखण्ड सरकार, निवेशकों को आवश्यक सुविधायें प्रदान करने के लिए तत्पर है। गत दो वर्षाें में राज्य में निवेश के लिए सुनियोजित प्रयास किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य तेजी से निवेश के लिये मुख्य गंतव्य स्थल के रूप में विकसित हुआ है। यह देश की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। राज्य सरकार ने डीपीआईआईटी और विश्व बैंक द्वारा प्रस्तावित विभिन्न व्यावसायिक सुधार किए हैं। पर्वतीय राज्यों द्वारा किए गए व्यापार सुधारों के मामले में उत्तराखण्ड अग्रणी है। लाॅजिस्टिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए अनेक बुनियादी अवसंरचनात्मक परियोजनाएं प्रारम्भ की हैं। राज्य में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आईसीडी और एलसीएस की स्थापना की गई हैं। आॅल वेदर रोड़ व जौलीग्रांट एयरपोर्ट की क्षमता विस्तार का काम प्रगति पर है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित अमृतसर-कोलकाता इण्डस्ट्रियल काॅरिडोर से उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड में स्थित उद्योगों को लाॅजिस्टिक्स के लिए सुगमता होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में औद्योगिक विकास को सुदृढ करने हेतु एकीकृत औद्योगिक आस्थान/क्षेत्रों का निर्माण किया गया है, जो विश्व स्तरीय अवस्थापना सुविधाओं से युक्त हैं। सुदृढ़ कानून व्यवस्था, भारत के अन्य राज्यों की तुलना में कम औद्योगिक विद्युत दर, गुणवत्ता युक्त मानव संसाधन की उपलब्धता, सौहार्दपूर्ण श्रमिक सम्बन्ध एवं न्यूनतम कार्यदिवसों की क्षति आदि कुछ ऐसे मुख्य कारण हैं, जो उत्तराखण्ड में निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में सहायक कारक सिद्ध हुए हैं।
उत्तराखण्ड में अक्टूबर, 2018 में प्रथम इन्वेस्टर्स समिट ‘‘डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड’’ का आयोजन किया गया था, जिसमें देश व विदेश के 4000 से अधिक प्रतिनिधियों, निवेशकों, उद्योगपतियों ने प्रतिभाग किया था। शिखर सम्मेलन के दौरान 600 से अधिक निवेशकों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में पूंजी निवेश के लिए रू. 1,24,000 करोड़ (एक लाख चैबिस हजार करोड़़) से अधिक के प्रस्तावों के एमओयू किये गये। इन एमओयू के क्रियान्वयन के लिए ठोस पहल की गई है। इन्वेस्टर्स समिट के बाद के 10 माह में लगभग रू. 17 हजार करोड़ से अधिक के पूंजी निवेश के प्रस्तावों की ग्राउण्डिंग की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य में औद्योगिकीकरण की अपार सम्भावनायें हैं। राज्य सरकार ने आॅटोमोबाइल, आयुष एवं वेलनेस, बायो-टैक्नोलाॅजी, सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, आदि क्षेत्रों को चिन्हित किया है और इन क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट नीतियां लागू कर आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान किये जा रहे हैं।
राज्य का ध्यान ऐसी परियोजनाओं पर भी केंद्रित है, जिससे राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिकी को मजबूत किया जा सके। पाइन निडिल से ऊर्जा उत्पादन इनमें से एक है, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को रोजगार के अवसर सुलभ हो सकें। राज्य सरकार ने अब तक 20 परियोजनाआंे की स्थापना के लिए विकासकर्ताओं का चयन किया है, जो लगभग 675 किलोवाट की बिजली उत्पादन कर सकेंगे और आने वाले समय में इस परियोजना की क्षमता को 5 मेगावाट तक बढ़ाये जाने की योजना है।
मुख्यमंत्री ने राज्य में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की सम्भावनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि उत्तराखण्ड भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये नयी पर्यटन नीति-2018 लागू की गयी है, जिसका मुख्य उद्देश्य रिवर्स माइग्रेशन को सुगम बनाने, ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करने और पारिस्थितिक पर्यटन, वैलनेस व साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। राज्य के प्रत्येक जनपद में एक नया थीम बेस्ड डेस्टिनेशन विकसित किया जा रहा है।
राज्य में पर्यटक रोप-वे निर्माण की व्यापक सम्भावनायें हैं, जिनमें से कुछ चिन्हित परियोजनायें देहरादून-मसूरी, जानकी चट्टी-यमुनोत्री, गोविन्दघाट-हेमकुण्ड साहिब, भैरव गढ़ी, देव का डाण्डा, बिनसर प्रमुख हैं। हाल ही में देहरादून को मसूरी से जोड़ने वाले रोप-वे प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया गया है, जिससे सड़क मार्ग से यात्रा मंे लगने वाला समय एक घण्टा तीस मिनट से घटकर केवल 15-20 मिनट हो जायेगा। यह परियोजना विश्व की 5 सबसे लम्बी रोप-वे परियोजनाओं में से एक है, जिस पर रू. 285 करोड़ का व्यय अनुमानित है। राज्य सरकार द्वारा पर्यटन को राज्य की आर्थिकी से जोड़ने के लिए उद्योग का दर्जा प्रदान दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की भी व्यापक सम्भावनाएं हैं। वैकल्पिक ऊर्जा उत्पादन के लिए कई निविदाएं आमंत्रित की हैं। पर्वतीय क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन की लगभग 148 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए उद्यमकर्ता/विकासकर्ताओं का चयन किया जा चुका है, जिसका कुल निवेश लगभग रू. 600 करोड़ सम्भावित है। इसके अतिरिक्त 52 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए निविदाएं आमंत्रित की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा 66 वें राष्ट्रीय फिल्म फेयर अवाड्र्स में उत्तराखण्ड का चयन मोस्ट फिल्म फेंडली स्टेट के लिए किया गया है। राज्य सरकार की फिल्म नीति के कारण ही पिछले वर्ष 180 से अधिक फिल्मों की शूटिंग राज्य में की गईं, जो एक समर्पित क्षेत्र नीति का ही परिणाम है। उत्तराखण्ड, सूचना प्रौद्योगिकी एवं समर्थित सेवाओं के क्षेत्र के विकास पर भी अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस क्षेत्र के लिए राज्य सरकार ने आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष पहल की है। राज्य ने अपनी सूचना प्रौद्योगिकी नीति को अधिसूचित कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत, दुनिया के शीर्ष 12 बायोटेक गंतव्यों में शामिल है। उत्तराखण्ड विविध प्रकार की वनस्पतियों और जड़ी-बूटियों से समृद्ध है और राज्य में कई विशेष प्रकार की दुर्लभ औषधीय और सुगंधित पौधे पाये जाते हैं। राज्य में उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद सहित आई0आई0टी0 रुड़की, जीबी पंत विश्वविद्यालय, जैव ऊर्जा संस्थान, रक्षा अनुसंधान संस्थान, वन अनुसंधान संस्थान सहित जैव प्रौद्योगिकी तथा अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित शोध संस्थान हैं, जो कि उत्तराखण्ड राज्य के सतत् विकास में निरन्तर योगदान प्रदान कर रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य में जैव प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के सहयोग से अन्तरराष्ट्रीय स्तर का एक समर्पित जैव प्रौद्योगिकी पार्क प्रस्तावित किया गया है। जैव प्रौद्योगिकी एवं इससे सम्बन्धित नवीन क्षेत्रों में निवेश की सुविधा को और सुगम बनाने के लिए जैव प्रौद्योगिकी नीति-2018-23 को अधिसूचित किया जा चुका है। इस अवसर पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने भी सम्बोधित किया।