कहने को उत्तराखण्ड भले ही छोटा प्रदेश हो मगर घोटालों में उत्तराखण्ड ने कई बडे प्रदेशों को भी पीछे छोड दिया है,जिसमें कुम्भ,आपदा,जल विद्युत परियोजना,शराब जैसे कई बड़े घोटालों ने देवभूमि को जहां शर्मशार किया वहीं अब उससे भी बडा घोटाला सामने आया है, करीब सात सौ करोड का ये घोटाला कौन सा है? क्या है ये घोटाला? कैसे किया गया घोटाला जिसका नाम है बैक डेट में 143।
आइए आपको बताते हैं कि आखिर 143 का यह महाघोटाला है क्या-सितारगंज से लेकर जसपुर तक फोरलेन सहित बाईपास के हाईवों के निर्माण में जिन लोगों की जमीनें रास्ते में आ रही हैं उनकी जमकर चाँदी हुई है, मतलब जिस जगह को सरकारी फ़ाइल में आवासीय भवन के रूप में दिखाया गया है वहां आज भी कृषि हो रही है।लेकिन अधिकारियों ने आंखें मूंद कर फाईलों का कोरम पुरा कर दिया। ये हुआ इसलिए कि कृषि भूमि के मुकाबले आवासीय भवन का 10 गुना मुआवजा होता है।मतलब जिसकी जमीन एक करोड़ रूपए की है तो उसे 10 करोड़ रुपए का सरकारी मुआवजा मिलेगा।रुद्रपुर,गदरपुर,किच्छा, सहित जसपुर तहसील में बड़ा गोलमाल हुआ और है,जबकि इस अरबों के पूरे गोलमाल को ऊपर के नेताओं और नौकरशाहों के इशारे पर जिले में तैनात एक बड़े रसूख दार पीसीएस अधिकारी ने बड़ी ही चतुराई से किया है सवाल तो इन्कमटैक्स अधिकारियों की कार्येशेली पर भी उठेंगे। जहाँ इतना बड़ा लेनदेन होने पर टैक्स के पाँच पैसे भी वसूल नहीं सके।