”हिमालयन मीट” की ब्रांडिग करने को तैयार उत्तराखंड सरकार

0
658
चमोली
file

(देहरादून) जल्द ही, देश के किसी भी हिस्से में बैठे मांस-प्रेमी पहाड़ियों में पाए जाने वाले भेड़ और बकरियों के मांस के स्वाद को चख सकते हैं। ‘हिमालयन मीट’ की आसान उपलब्धता का श्रेय उत्तराखंड सरकार को जाता है, जिसने हाल ही में शुरुआत के लिए 3,300 करोड़ रुपये के फंड को मंजूरी दी है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि, “सीमित आय के कारण स्थानीय जिलों में बड़े पैमाने पर पलायन करने वाले पहाड़ी जिलों के लिए यह कदम एक “गेम चेंजर” होगा। एक अधिकारी ने कहा, ‘हिमालयन मीट, ब्रांडिंग के लिए गढ़ा गया नाम, सरकार को राज्य के कृषि और पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने में मदद करेगा।राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम ने हाल ही में इस परियोजना के लिए धनराशि जारी की है, जबकि इस उद्देश्य के लिए एक त्रि-स्तरीय सहकारी संरचना विकसित की गई है।”

योजना के अनुसार, पहाड़ी जिलों के लगभग 10,000 भेड़ और बकरी के मालिक अपने मवेशियों को उच्चाई के खेतों में चराऐंगे जिससे उच्च गुणवत्ता वाले मांस प्राप्त होने में मदद मिलेगी। शुरिआत में, मांस स्थानीय बाजारों में उपलब्ध कराया जाएगा और बाद में, इसे डिमांड के अनुसार राज्य के बाहर के बाजारों में डिलीवर किया जाएगा।

रावत ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि कृषि और पशुपालन अगले पांच सालों में और बढ़ावा मिलेगा।इसके अलावा डेयरी, मत्स्य और मांस उद्योग को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया जाएगा।”

उत्तराखंड की 2012 की जनगणना के अनुसार, राज्य में 3.68 लाख भेड़ और 13.6 लाख बकरियां थीं। 2014-15 में, किसानों ने 108 लाख किलोग्राम भेड़ और बकरी का मांस बेचकर लगभग 38 लाख रुपये कमाए थे।