उत्तराखंड : नन्हीं क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा ने की प्रधानमंत्री से अपील, हाथियों के घर को बचाया जाये

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उत्तराखंड
उत्तराखंड राज्य वन्य जीव बोर्ड के शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने काे लेकर अब विरोध के सुर उठने लगे हैं। नन्हीं क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा पांडे ने इसका विरोध किया है। कहा कि इससे पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह पर्यावरण और मानवता की मौत होने से रोकें, जिससे हाथियों के घर को बचाया जा सके। साथ ही देश और उत्तराखंड के लोगों को निवेदन करती हैं कि वह शिवालिक हाथी रिजर्व को बचाने में हमारी सहायता करें, ताकि पर्यावरण को और बेहतर बनाया जा सके।
-शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करना वन जीवन संरक्षण अधिनियम की हत्या
13 वर्षीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट रिद्धिमा ने कहा कि उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने का जो निर्णय लिया है, सरकार ने इस निर्णय को लेने से पहले जंगलों की वनस्पति और वन जीवन के बारे में सोचा तक नहीं। यह निर्णय वन जीवन संरक्षण अधिनियम की हत्या है। कहा कि कोरोना जैसी महामारी ने हमें यह सिखा दिया है कि पर्यावरण और प्रकृति से छेड़छाड़ इंसान पर ही भारी पड़ता है।
हाथियों का इकलौता अभ्यारण्य है शिवालिक एलिफेंट रिजर्व 
शिवालिक एलिफेंट रिजर्व उत्तराखंड में विशाल हाथियों का इकलौता अभ्यारण्य है। ये रिजर्व क्षेत्र 5405 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जहां एशियाई हाथी रहते हैं। शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र उत्तरी भारत के दो हाथी आरक्षित क्षेत्रों में सबसे बड़ा है। यहां से 50 लाख वर्ष पूर्व के हाथी के जीवाश्म भी मिल चुके हैं। कंसोरा-बरकोट हाथी गलियारा भी इसी के शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है। 8 अक्टूबर 2002 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने नोटिफिकेशन यानी अधिसूचना जारी करके इसे एलिफेंट रिजर्व घोषित किया था। इसमें देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, नैनीताल और अल्मोड़ा जिले के वन प्रभाग शामिल हैं। इन वन प्रभागों में कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के कुछ हिस्सों को भी शामिल किया गया है। देश में एशियाई हाथियों की सर्वाधिक घनत्व वाली आबादी इसी हाथी आरक्षित क्षेत्र में पायी जाती है। अफ्रीकन हाथियों के बाद एशियाई हाथी धरती के दूसरे सबसे विशालकाय हाथी होते हैं।
इस क्षेत्र में रहने वाले हाथियों का क्या होगा? 
दरअसल, वर्ष 2002 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदेश के 17 फॉरेस्ट डिवीजन में से 14 को एलिफेंट रिजर्व के नाम से नोटिफाई किया था। इसका मतलब ये कि इतनी जगह हाथियों को दी गई थी। नोटिफाई का मतलब ये कि सरकार किसी खास कार्य के लिये किसी जमीन को आरक्षित कर ले और सरकार के निर्देश के मुताबिक ही उस जमीन पर काम होगा लेकिन इसकी वजह से कई प्रोजेक्ट अटकने लगे।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के रास्ते में आ रहा एलिफेंट रिजर्व
देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के रास्ते में भी एलिफेंट रिजर्व आ रहा है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के वन संरक्षण विभाग के अनुसार उत्तराखंड सरकार के एयरपोर्ट विस्तार की परियोजना में शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र की 87 हेक्टेयर जमीन भी शामिल हो रही है। इस विस्तार परियोजना का पूरा क्षेत्र शिवालिक हाथी आरक्षित क्षेत्र और हाथी गलियारे के एक किमी के दायरे में आता है। इसके अलावा अधिसूचित कंसोरा-बरकोट हाथी गलियारा भी प्रस्तावित विस्तार परियोजना के 05 किमी के दायरे में आता है। इस मुश्किल के कारण राज्य वन्यजीव बोर्ड ने हाथी रिजर्व खत्म करने का प्रस्ताव पास कर दिया, मतलब रिजर्व को डिनोटिफाई कर दिया है। डिनोटिफाई करके सरकार ने इस जमीन को विकास कार्यों से लिए मुक्त कर दिया है। कोई भी सरकार से जमीन खरीदकर जरूरी एनओसी लेकर अपना काम कर सकता है।
दरअसल, बीती 24 नवम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बोर्ड की 16वीं बैठक में राज्य वन्य जीव बोर्ड के शिवालिक हाथी रिजर्व की अधिसूचना को निरस्त करने काे लेकर निर्णय लिया गया था। शिवालिक हाथी रिजर्व के संबंध में 2002 में जारी अधिसूचना को रद्द किए जाने से 5,405 वर्ग किलोमीटर में फैले क्षेत्र में स्थित देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे का विस्तारीकरण सहित कई विकास गतिविधियों का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके निरस्त होने से प्रदेश भर में करीब एक दर्जन वन प्रभागों में विकास कार्यों के लिए भूमि अधिग्रहण किया जा सकेगा।