हिमालय दिवस पर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने दिया धरना उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने शनिवार को परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल पर हिमालय दिवस के अवसर पर हिमालय के संसाधनों की सुरक्षा, पर्यावरण, विस्थापन व बड़े-बड़े बांधों के दुष्प्रभाव को केंद्रित करते हुए एक दिवसीय धरना दिया।
इस अवसर पर पार्टी के प्रधान महासचिव एपी जुयाल ने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार हिमालय दिवस के नाम पर शपथ दिलवा कर पूरे जनमानस को हिमालय बचाने को प्रेरित कर रही है, वहीं दूसरी ओर हिमालय व हिमालय वासियों को डुबाने और विस्थापित करने के लिए बड़े-बड़े बांधों के निर्माण करा रही है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रस्तावित 556 बांधों के चलते लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। लाखों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो जाएगी तथा प्राकृतिक जड़ी-बूटियां खनिज संपदा, वन संपदा नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं की डीपीआर बनाते समय परियोजनाओं से होने वाले लाभ का आकलन किया गया, हानि का नहीं। जबकि बिजली उत्पादन से होने वाले लाभ से कहीं अधिक वन संपदा, कृषि भूमि, जड़ी-बूटियां अन्य खनिज पदार्थों के हमेशा के लिए लुप्त हो जाने का खतरा है। इसका जरा भी संज्ञान नहीं लिया गया है।
धरने को संबोधित करते हुए पार्टी कार्यकार्ता ईडी नौटियाल ने कहा कि टिहरी बांध हमारे सामने उदाहरण है, जो अपने प्रस्तावित लागत व निर्माण की प्रस्तावित अवधि से कई गुना अधिक लागत व समय ले गया। इसके बावजूद अनुमानित उत्पाद से आधी भी बिजली प्राप्त नहीं हो रही है। ऊर्जा प्रदेश होने के बावजूद आज भी बाहर से बिजली खरीदी जा रही है।
नारायण सिंह रावत ने कहा कि पहले ही टिहरी से विस्थापित किए हुए लोगों को पुनर्वास की समस्या का सही व पूर्ण रूप से निदान नहीं हो पाया है अब कुमांऊ के लोगों को विस्थापित करने का कुटिल षड्यंत्र रचा जा रहा है। इस दौरान कुलदीप मघवाल ने कहा कि सरकार केवल अपनी हठधर्मिता के चलते जन भावनाओं की उपेक्षा कर रही है।
इस दौरान युद्ध राज त्यागी ने कहा उत्तराखंड की जनता जान चुकी है कि बड़े-बड़े पूंजी पतियों को लाभ पहुंचाने की नियत से ही भाजपा सरकार जबरन उत्तराखंड में बड़े-बड़े बांधों का निर्माण करने जा रही है। उन्होंने कहा कि जन भावनाओं की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार हठधर्मिता छोड़ हिमालय दिवस पर हिमालय को डूबने की प्रक्रिया को वापस ले। अन्यथा आंदोलन एक मात्र विकल्प होगा। इसके अतिरिक्त धरने पर ज्ञानवीर त्यागी, राज कुमार त्यागी, राजेश मौर्य, सत्यवीर जगदीश सिंह आदि लोगों ने अपने विचार रखे।