उत्तराखंड के बल्ले से अब क्रिकेटर लगाऐंगे शाॅट

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वह दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड में तैयार बल्ला भी क्रिकेट के खिलाड़ियों के हाथों में नजर आएगा। 127 इको टास्क फोर्स पहाड़ की आर्थिकी संवारने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में विलो ट्री लगा रही है। अब इस मुहिम को ‘कौशल विकास’ से भी जोड़ा जाएगा। ताकि युवाओं को क्रिकेट बैट के निर्माण में भी प्रशिक्षित किया जा सके।

127 इको टास्क फोर्स के गढ़ी कैंट स्थित मुख्यालय पहुंचे वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने विलो के अधिकाधिक रोपण को कार्ययोजना बनाने को कहा। उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध करवाने के लिए, इस प्रजाति के पेड़ की व्यवसायिक खेती करने पर आर्थिक स्थिति मजबूत होने की अपार संभावनाएं हैं। आगे इस मुहिम को कौशल विकास से जोड़ युवाओं को इसकी लकड़ी से उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

रावत ने कहा कि अखरोट, चिलगोजा व अन्य व्यवसायिक प्रजाति के पौधों को क्लस्टर के आधार पर रोपित किया जाए, ताकि इसका व्यवसायिक लाभ ग्रामीणों को मिल सके। बता दें कि क्रिकेट का बैट वाले वाले उद्योगों में विलो की भारी डिमांड है। इसके उत्पादन से पहाड़ के लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ की सकती है। प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय स्तर के 30 मिलियन क्रिकेट के बल्लों की जरूरत होती है। इस जरूरत को पूरा करने में भारत की अहम भूमिका है।

विश्व के 80 फीसद क्रिकेट बैट भारत में ही बनाए जाते हैं। बैट बनाने के उद्योग मेरठ व जालंधर में मौजूद हैं, जिसका कारोबार सालाना 200 करोड़ से अधिक का है। खास बात यह कि इस पौधे की जड़ों में पानी को संचित रखने की क्षमता होती है, जिससे लवण युक्त भूमि की दशा सुधरने में यह प्रजाति उपयुक्त है।

अभी यह पेड़ जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश में पाए जाते हैं। रावत ने इस दौरान मुख्यालय परिसर में अंजीर का पौधा भी रोपा। कार्यक्रम में इको टूरिज्म डेवलपमेंट कार्पोरेशन के एमडी अनूप मलिक, 127 इको टास्क फोर्स के सीओ कर्नल एचआरएस राणा आदि उपस्थित रहे।