उत्तराखंड में बारिश हुई कम,किसानों को हो सकती है परेशानी

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उत्तराखंड में जिस तरह से बारिश कम हुई हैं उसे देखते हुए मौसम विभाग ने इस साल गर्मी जमकर होने की संभावना जताई है। सर्दियों के मॉनसून सीजन (अक्टूबर-दिसंबर) में कम बारिश होने के बाद, उत्तराखंड में सर्दियों के मौसम (जनवरी-फरवरी) में 68% बारिश की कमी दर्ज हुई है, इसके अलावा राज्य के सभी 13 जिलों में सामान्य बारिश से भी कम बारिश दर्ज की गई है।

हालांकि, हिमालयी राज्य ने बीते साल चार महीने के मॉनसून सीजन (जून-सितंबर) में सामान्य बारिश होने के बाद पोस्ट मॉनसून बारिश में 76% की कमी दर्ज की थी।

मौसम विभाग द्वारा जारी बारिश के आंकड़ों के मुताबिक, सर्दियों के मौसम में उत्तराखंड में 34 मिमी बारिश हुई। जनवरी में, 17.5 मिमी बारिश दर्ज की गई जबकि फरवरी में लगभग सूखा ही रहा और केवल 16 मिमी बारिश दर्ज की गई।

इस बारे में और बताते हुए, क्षेत्रीय मौसम केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा कि, “बरसात के मौसमों को छोड़कर, सर्दियों के मौसम में उत्तराखंड में कोई महत्वपूर्ण बारिश गतिविधि नहीं हुई थी, जिसके परिणाम स्वरूप 68% बारिश की कमी हुई है। दोनों पहाड़ियों और मैदानों में स्थिति समान रूप से खराब रही।”

हरिद्वार सबसे सूखा जिला होते हुए 88% बारिश की कमी हुई, जबकि पौड़ी गढ़वाल में 83% बारिश कम हुई। दूसरी ओर, देहरादून और चमोली जिलों में प्रत्येक 61% कमी हुई,जो पूरे राज्य में सबसे  कम है। अल्मोड़ा को सामान्य वर्षा की तुलना में 64% कमी हुई जबकि नैनीताल में 74% बारिश की कमी हुई।

पिछले साल भी, सर्दियों के मौसम में जनवरी और फरवरी में राज्य भर में 51% बारिश की कमी दर्ज हुई थी। मौसम विभाग के अधिकारियों का मानना है कि उत्तराखंड में बारिश पर निर्भर कृषि क्षेत्र के लिए सर्दियों के मौसम में कम बारिश अच्छा नहीं है। इस तरह से बारिश की कमी किसानों के लिए ठीक नहीं हैं और ऐसे में फलों को पकने में समय लगेगा जिससे बागवानी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों जैसे की नैनीताल और मसूरी में उम्मीद के अनुसार कम बारिश हुई जिससे दूर-दराज से आए यात्रियों को भी मायूही मिली।