हमेशा ‘बकरी स्वंयवर’ को लेकर सुर्खियों में रहने वाला गोट विलेज केवल बकरी स्वंयवर नही करता बल्कि इस गांव में और भी बहुत कुछ होता है।आइये आपको इस गांव के अंदर लेकर चलते है जहां एक कम्यूनिटी ग्रीन पीपल पिछले 3 साल से काम कर रहा है।
साल 2015 से शुरु हुए ग्रीन पीपल ऑर्गनाइजेशन ने ना केवल गोट विलेज नाम से गांवो को बसाया बल्कि गांव में रहने वालो को रोजगार के नए साधन दिए।देहरादून से लगभग 3-4 घंटे दूरी पर बसा यह गांव गोट विलेज के नाम से भी जाना जाता है, जहां लोगो के राज़गोर का माध्यम है बकरी पालन। ग्रीन पीपल एक ऐसा ऑर्गनाइजेशन है जिसने राज्य से खाली हुए गांवो को एक फिर बसाने का बेड़ा उठाया और किसानों की जीने की एक नई राह दी है।इस समय राज्य में तीन गोट विलेज है जिसमे एक नागटिब्बा, दूसरा कानाताल और तीसरा दयारा बुग्याल मे है।आने वाले मार्च से ग्रीन पीपल एक और गोट विलेज बसाने की तैयारी मे है।
गोट विलेज के बारे मे बात करते हुए ग्रीन पीपल की सदस्य मानसी बंसल ने बताया कि, “गोट विलेज ऐसी जगहों पर बनाया गया है जहां से लोगो ने पलायन कर लिया है और अपने घर खाली छोड़ गए है।ज्यादातर किसानो के घर और गांव छोड़ने की वजह थी उनके फसल को कोई पूछने वाला नही था।ऐसे गांवो को चुनने के बाद गोट विलेज की शुरुआत की गई और और इन गांवों में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है।मानसी ने बताया कि, “शहर से आए लोगो के लिए गोट विलेट में होमस्टे की व्यवस्था है जिन्हे उन्ही घरो मे ठहाराया जाता है जो सालो पहले लोग छोड़ कर जा चुके है।साथ ही लोकल क्यूज़िन और पहाड़ के क्षेत्रीय फसल और यहां के खाने से लोगो को स्वागत किया जाता है।एक तो इससे शहर से आए टूरिस्ट को पहाड़ की परंपरा और संस्कृति का पता चलता है साथ ही गांव के क्षेत्रीय लोगो का कॉंफिडेंस भी बढ़ता है।ग्रीन पीपल के साथ बहुत से लोग अपनी स्वेच्छा से जुड़े हुए है।
गांव के लोग बकरी पालन के अलावा पहाड़ के दाल और फसल की खेती भी करते है जो ग्रीन पीपल द्वारा पैकेजिंग के बाद सीधे शहरों मे बेचा जाता है। इतना ही नही गांव के लोग बकरी के दूध को भी बाजार मे बेचते है। गोट विलेज के माध्यम से गांव के लोग यह संदेश देना चाहते है कि किस तरह लोग गांव में रहकर रोज़गार से जुड़े रह सकते है। साथ ही गांव के लोग एग्रीकल्चर,हॉटिकल्चर,पशु-पालन,लोक संगीत और नृत्य के माध्यम से गांव में आए हुए टूरिस्ट को राज्य की परंपरा से रुबरु कराते है।
गोट विलेज मे ना केवल किसानों के पूराने घरो मे होमस्टे की पहल की गई है बल्कि गांव के लोग शहर मे गोट मैनेजमेंज भी सीख रहे है।इसके अलावा आर्गेनिक खेती भी गोट विलेज का एक अहम आर्कषण है।गोट विलेज यानि बकरी गांव में होने वाली सभी फसल को बकरी छाप ब्रॉंड के माध्यम से बाजार मे बेचा जाता है और इसका मुनाफा सीधे किसानो को मिलता है।इस ब्रॉंड के अंदर दाल,राजमा,हल्दी,सोयाबीन,मक्के का आटा,मंडुआ,भाट की दाल और भी बहुत से क्षेत्रीय फसल बेचे जाते है।
गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में ग्रीन पीपल द्वारा शुरु किया गया बकरी स्वंयवर किसी से छिपा नही है। उन दिनो सुर्खियों में रहने वाला स्वंयवर भी इसी कम्यूनिटी की ही देन है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बकरियो को उनके पसंद का जीवनसाथी मिले साथ ही बकरी की गुणवत्ता को भी सुधारा जा सके।
इस साल बकरी स्वंयवर 11 मार्च को टिहरी गढ़वाल के पंतवाड़ी में तय किया गया है, जिसमें आप सब इनवाइटेड है।