(उत्तरकाशी) अगर आप उत्तरकाशी में हैं या वहां जाने का इरादा कर रहे हैं तो “द फार्म हाउस कैफे एंड बैकरी” को अपनी लिस्ट का हिस्सा जरूर बना लें।
अपनी तरह की ये पहली जर्मन बेकरी पौड़ी की आकृति रावत और उनके जर्मन साथी स्टीफन पौलमान की मेहनत का नतीजा है।इस बेकरी का मकसद है उत्तरकाशी शहर में हजारों किमी दूर जर्मनी के स्वाद का जायका फैलाना।
इन दोनों ने बेकरी के लिये खासतौर पर नेताला को चुना। इसके पीछे कारण था चारघाम यात्रा के दौरान यहां आने वाले लोगों की भीड़, साथ ही यह जगह मुख्य शहर की भीड़-भाड़ से दूर है।
इस बेकरी में आने वालों को दोहरा फायदा होगा, न केवल आकृति और स्टीफन के हाथों का जायका चखने को मिलेगा बल्कि इन व्यंजनों का आनंद प्राकृतिक खूबसूरती को निहारते हुए ले सकते हैं।
आकृति कहती हैं कि “हम पर्माकलचर्र के सिद्दातों को आधार बनाकर इस कैफे को बढ़ा रहे हैं। इस कैफे के लिये इस्तेमाल में आने वाला ज्यादर सामान यहीं ऑर्गेनिक तरीकों से उगाया जायेगा। इस कैफे की खासियत है एक जर्मन नागरिक के हाथों जर्मनी के जायकों का मजा उठाना।”
ये कैफे अभी अपने शुरुआती दिनों मे ंहै औऱ इसके निर्माण के लिये पहाड़ी कला और कार्यशैली का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमे पठाल और पहाड़ी लकड़ी का काम शामिल है।
इस कैफे को शुरू करने से पहले आकृति गोवा में एक पूर्व क्रिकेटर का दफ्तर बनवा रही थी, वहीं जर्मन नागरिक स्टीफन दिल्ली में एक जर्मन स्वयं सेवी संस्थान के साथ काम कर रहे थे।
इन दोनों ने जून में अपने शहरों को छोड़ इस कैफे की शुरुआत करी। आकृति ने कैफे के लिये जमीन किराये पर ली, और अब कैफे के साथ ही अपना ऑर्गेनिक फार्म भी बना रही है, उनका कहना है कि “आसपास के युवा हमारे इस कदम को काफी पसंद करते हैं और सराहते हैं। वो इस जगह से हमारे जुड़ाव को भी समझते हैं। बुजुर्ग साथ देते हैं पर अभी भी हमें बाहरी ही मानते हैं। इस छवि को हम तोड़ने की कोशिश कर रहै हैं।”
इस जोड़े ने हाल ही में हुए हर्सिल एप्पल फेस्टिवल में भी हिस्सा लिया। यहां इन्होने नौ तरह की रेस्पि पर आधारित करीब तीन सौ केक बनाये, इसके साथ रोडोडेंड्रोन सेब की किस्म पर आधारित जूस भी बनाया जो लोगों में खासा पसंद किया गया।
इन दोनों की मेहनत और लगन इस तरफ साफ इशारा करती है कि “द फार्म हाउस कैफे एंड बेकरी” आने वाले समय में लोगों के बीच अपनी अलग पहचान बनाने वाला है।