देहरादून, उत्तराखंड को डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के लिए विश्व बैंक से 120 मिलीयन डॉलर के अतिरिक्त वित्त पोषण की सहमति प्राप्त हो गई है।नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में इस संबंध में उत्तराखण्ड सरकार व विश्व बैंक के मध्य समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट(यूडीआरपी) की शुरुआती 250 मिलीयन डॉलर के वित्त पोषण के क्रम में विश्व बैंक ने 120 मिलीयन डॉलर के अतिरिक्त वित्त पोषण पर सहमति प्रदान की है। इस अतिरिक्त वित्त पोषण से मुख्यतः एसडीआरएफ की प्रशिक्षण सुविधाओं व बटालियन मुख्यालय का जौलीग्रांट में निर्माण, अत्याधुनिक उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भवन का निर्माण, उत्तराखंड में कनेक्टीविटी सुधारने के लिए 64 पुलों का निर्माण, 15 अति संवेदनशील लैंड स्लाईड जोनों पर स्लोप सुरक्षा कार्य व नदी किनारे 5 स्थानों पर सुरक्षा कार्य कराए जाएंगे। ये सभी काम आगामी तीन वर्ष की अवधि में कराए जाने प्रस्तावित हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर इस परियोजना की तैयारी एक वर्ष पूर्व आरम्भ कर दी गई थी। कुछ डीपीआर बनाने का काम यूडीआरपी के अंतर्गत किया गया। परियोजना के कार्यों का क्रियान्वयन पीएमयू, पीआईयू व क्षेत्रीय पीआईयू के माध्यम से यूएसडीएमए के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग व पुलिस विभाग के परस्पर समन्वय से किया जाएगा। परियोजना की मॉनिटरिंग मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जाएगी। परियोजना के लिए शुरुआती मानव संसाधन व क्षेत्रीय पीआईयू की स्थापना की जा चुकी है व 30 प्रतिशत कार्यों का अनुबंध डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के दिशा निर्देशानुसार किया जा चुका है। मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखण्ड सरकार में सचिव अमित सिंह नेगी, अपर सचिव सविन बंसल, निदेशक बन्दना प्रियेशी, अनुसचिव डिपार्टमेंट ऑफ इकोनोमिक अफेयर्स एससी श्रीवास्तव, विश्व बैंक से इग्नैशियो उरूशिया, दीपक सिंह आदि उपस्थित थे।
गौरतलब है कि उत्तराखण्ड में 2013 की दैवीय आपदा के बाद आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा विश्व बैंक से 250 मिलीयन डॉलर की सहायता यूडीआरपी के लिए व 200 मिलीयन डॉलर की सहायता एशियन विकास बैंक से उत्तराखण्ड इमरजैंसी असिस्टैंस प्रोजेक्ट(यूईएपी) के लिए प्राप्त की गई थी। यूईएपी अक्टूबर 2017 में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है और यूडीआरपी जून 2019 में पूरा होना सम्भावित है। उक्त परियोजनाओं के अंतर्गत विभिन्न सड़कों व पुलों का पुनर्निर्माण, 25 लोक भवनों (स्कूल, डिस्पेंसरी, पुलिस स्टेशन आदि), जीएमवीएन व केएमवीएन के अंतर्गत पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर का पुनर्वास व निर्माण, हैलीपेडों का निर्माण, 9 शहरों की जलापूर्ति का काम, खोज एवं बचाव उपकरणों की एसडीआरएफ को आपूर्ति का काम, विभिन्न तकनकी अध्ययन आदि काम किए गए।