देवस्थानम् बोर्डः अपनों का सितम, गैरों का करम

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देवस्थानम्
उत्तराखंड के चारधाम समेत 51 बडे़-छोटे मंदिरों को एक छतरी के नीचे लाने वाले देवस्थानम् बोर्ड पर कानूनी लड़ाई जारी है। इस पूरी लड़ाई का दिलचस्प पहलू यह है कि भाजपा की राज्य सरकार के खिलाफ उसी के राज्यसभा सदस्य सुब्रहमण्यम स्वामी दांव पेंच चला रहे हैं। वहीं, हर बार सरकार को कानूनी लड़ाई में फंसाने वाली रूलक संस्था का इस बार पूरी मजबूती से बोर्ड गठन के पक्ष में सरकार के साथ खड़ी है। सरकार इससे सहज महसूस कर रही है।
-51 मंदिरों की व्यवस्था को एक छतरी के नीचे लाई सरकार
-भाजपा सांसद स्वामी विरोध में लड़ रहे कानूनी लड़ाई
– सरकार को घेरने वाली रूलक संस्था इस बार पक्ष में
उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का प्रशासनिक संचालन बोर्ड गठन से पहले बिखरा-बिखरा रहता था । बदरीनाथ और केदारनाथ का संचालन बदरी केदार मंदिर समिति और गंगोत्री यमुनोत्री धाम का संचालन प्रशासनिक कमेटियां करती थीं। इसके अलावा, अन्य मंदिरों की व्यवस्थाएं एकदम अलग थीं। सरकार देवस्थानम् बोर्ड बनाकर सारे मंदिरों को एक छतरी के नीचे ले आई है। इसका हक हकूकधारी, पंडे पुरोहित विरोध कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश के ज्यादातर लोगों ने इस व्यवस्था को दूरगामी लाभ देने वाली बताते हुए इसका समर्थन किया है।
देवस्थानम् बोर्ड का मसला हाईकोर्ट की चौखट पर पहुंच चुका है। फरवरी 2020 में भाजपा के तेजतर्रार नेता सुब्रहमण्यम स्वामी इस मुद्दे पर हाईकोर्ट गए थे। उनकी जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। इस बीच कानूनी लड़ाई में रूलक संस्था भी कूद पड़ी है। रूलक ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर स्वामी की याचिका खारिज करने की मांग की है। बोर्ड गठन के फैसले को रूलक संस्था ने सही बताया है। ग्रामीण विकास के लिए प्रमुख रूप से काम करने वाली यह वही रूलक संस्था है, जिसके मुखिया पदमश्री अवधेश कौशल हैं।
रूलक संस्था पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास देने के विरोध में कोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ चुकी है। रूलक की याचिका पर ही कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने और किराया भरने के आदेश जारी किए थे। बोर्ड के गठन को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई पर चारधाम यात्रा विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं का कहना है कि सरकार को हाईकोर्ट पर पूरा भरोसा है। बोर्ड के विरोधी कोर्ट में मुंह की खाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि बोर्ड गठन से किसी का अहित नहीं होने दिया जाएगा। इधर, बद्रीश पंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोटियाल कह रहे हैं कि देवस्थानम् बोर्ड के विरोध में लड़ाई को पूरी मजबूती से जारी रखा जाएगा।