विश्व धरोहर फूलों की घाटी का दीदार करने के लिए देश-विदेश के प्रकृति प्रेमी और पर्यटक लालायित रहते हैं लेकिन इस बार फूलों की घाटी को इंद्रदेव के बरसने का इंतजार है।
विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान इस वर्ष 1 जून को पर्यटकों के लिए खोल दी गई थी और अब तक दस हजार से अधिक देशी-विदेशी पर्यटक घाटी में पहुंच भी चुके हैं लेकिन बिन बरसात घाटी में इन दिनों जो फूल खिलने थे वो नहीं खिल सके।
सीमान्त क्षेत्र जोशीमठ के काश्तकार बीते महीनों से ही बरसात का इंतजार कर रहे हैं। बिन बरखा के साग सब्जी और नकदी फसलें तो चौपट हो ही गई। इसका असर फूलों की घाटी में भी दिख रहा है।
करीब 450 से पांच सौ प्रजातियों के पुष्पों से लहलहाने वाली फूलों के संसार की यह घाटी यूं तो 15 जून के बाद पूरे यौवन पर रहती हैं, लेकिन जून महीने के पहले पखवाड़े में भी फूलों की कई प्रजातियां खिल उठती थीं जो इस बार बिन बरसात के नहीं दिख रही हैं।
घाटी में इन दिनों एक दर्जन के करीब ही फूलों की प्रजाति खिली हैं, जिनमें प्रीमूला, पोटेंटीला, वाइल्ड रोज, सन फ्लावर और लिली कोबरा आदि हैं। यदि बरसात होती तो कई अन्य प्रजातियां भी खिली मिलतीं। बहरहाल बिन बरसात ही इस घाटी का दीदार करने देशी और विदेशी पर्यटक पहुंच रहे हैं और फूलों को निहारते हुए घाटी के अंतिम छोर तक भी पहुंच रहे हैं।
11 हजार फीट की ऊंचाई एवं 87 वर्ग किमी में फैली प्रकृति की इस अनमोल धरोहर का दीदार करने प्रतिवर्ष जून से सितंबर माह तक देश-विदेश के पर्यटक पहुंचते हैं। इस वर्ष भी अब तक 12 विदेशी पर्यटकों सहित दस हजार से अधिक पर्यटक घाटी में पहुंच चुके हैं।
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान की देख रेख करने वाले वन महकमे को भी उम्मीद है कि कोविडकाल के बाद जिस प्रकार चार धाम यात्रा में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा, उसी प्रकार प्रकृति प्रेमी पर्यटक फूलों की घाटी भी पहुंचेंगे। वन महकमे ने इसकी पूरी तैयारियां भी की हैं।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क-फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ एनबी शर्मा कहते हैं कि इस वर्ष फूलों की घाटी एक माह पूर्व 1 जून को खोल दी गई थी और दस बारह दिनों में ही घाटी में पहुंचने वाले पर्यटकों का जो आंकड़ा मिल रहा है, उससे पूरी उम्मीद है कि इस बार अन्य वर्षों की तुलना में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा और विभाग ने इसके अनुरूप व्यवस्थापएं भी चाक चौबंद की हैं।
फूलों की घाटी रेंज के रेंज आफिसर बृज मोहन भारती बताते हैं कि इस बार महिला फॉरेस्ट गार्ड सहित स्टाफ की संख्या भी बढ़ाई गई है,पर्यटकों के साथ भी नियमित रूप से वन कर्मी वैली में जाते हैं और पर्यटकों को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराते हैं।