लकड़ी का पुल बहने के कगार पर, नींद में है लोक निर्माण विभाग

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चमोली जिले के देवाल विकास खंड के तीन से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए पिंडर नदी पर बना पुल एक बार फिर बहने की कगार पर है। प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है और कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
यह पुल 2013 की आपदा में भी बह गया। जिससे क्षेत्र के तीन गांवों के एक हजार से अधिक आबादी के लोगों की आवाजाही ठप हो गई थी। ग्रामीणों ने गांव को आवागमन का साधन देने के लिए जिला प्रशासन से लेकर शासन स्तर तक पत्राचार किया। जिसके बाद लोक निर्माण विभाग ने यहां ट्रॉली का निर्माण कर आवाजाही सुचारू की लेकिन बरसात के दिनों में यह ट्रॉली भी ग्रामीणों के लिए लाभकारी सिद्ध नहीं हो रही है। हर माह ग्रामीण लकड़ी का पुल बनाकर आवाजाही करने को मजबूर है। ग्रामीणों की मानें तो शासन प्रशासन व लोनिवि के दफ्तरों के चक्कर काटते हुए ग्रामीणों को सात साल का समय गुजर गया है लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया है। अब जब फिर बरसात का मौसम शुरू होने वाला है ऐसे में ग्रामीण फिर से डरे सहमे हुए है कि आवाजाही कैसे होगी।
क्या कहते है ग्रामीण
क्षेत्र पंचायत सदस्य पान सिंह गडिया, प्रधान ओडर खीम राम व प्रेमा गडिया का कहना है कि 2013 की आपदा में उनके गांव को जोड़ने वाला पुल बह गया था। जिसके बाद तीन गांव ओडर, ऐरठा, ओर बजई के गांवों का दूसरे क्षेत्र से संपर्क कट गया था। लगातार पत्राचार करने के बाद भी शासन प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली। लिहाजा ग्रामीण जान हथेली पर रखकर लकड़ी के पुल से ही आवागमन को मजबूर हैं।
क्या कहते है अधिकारी
क्षेत्र के ओडर, ऐरठा व बजई के ग्रामीणों ने उन्हें समस्या से अवगत कराया है।  गांव के ग्रामीणों को जल्द ही ट्रॉली का लाभ मिल सकेगा। इसके लिए उनकी ओर से लोक निर्माण विभाग के आला अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाया गया है।
किशन सिंह नेगी, उपजिलाधिकारी थराली