पहाड़ी जीवन का संघर्ष: घायल को 10 किमी बांस का स्ट्रेचर बनाकर लाए सड़क तक

    0
    1823

    चमोली जिले के विकास खंड जोशीमठ के दुर्गम क्षेत्र के किमाणा गांव के बादर सिंह जो अपने मवेशियों के लिए चारापत्ति काटते हुए शनिवार की देर सांय को पेड़ से गिर कर बुरी तरह घायल हो गए थे। लेकिन, सड़क के अभाव व क्षेत्र हो रही भारी वर्षा व हिमपात व दुर्गम रास्ता होने के कारण ग्रामीण बारिश के रुकने का इंतजार करने के लिए मजबूर हो गये लेकिन जब घायल की हालत नाजूक होता देख ग्रामीण तड़के ही बिना बारिश रूके घायल को बांस की लकड़ी के स्ट्रेचर पर लिटाकर 10 किमी तक का पैदल रास्ता नापते हुए मुख्य सड़क तक लाये और वहां 108 सेवा के माध्यम से जोशीमठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गये जहां से उसे रैफर कर जिला चिकित्सालय गोपेश्वर लाया गया है। इस घटना ने बता दिया कि अभी भी जिले में सड़कों के अभाव में लोग किस तरह का जीवन जी रहे है।
    चमोली जिले का उर्गम घाटी को चमोली जिले को सड़कों और सुविधाओं के अभाव में दुर्गम क्षेत्र भी कहा जाता है। इसी क्षेत्र के किमाणा गांव जो सड़क मार्ग से 10 किमी दूर खडी चढाई पर है। यहां के 40 वर्षीय बादर सिंह शनिवार को पशुओं के लिए चारापत्ति लेने जंगल गये थे। और अचानक पेड़ से गिर गहरी खाई में जा गिरा जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। साथ अन्य साथियों ने इसकी सूचना गांव में पहुंचायी जिस पर ग्रामीणों ने उसे पहले घर लाये और वहां से उपचार के लिए जोशीमठ लाना चाह रहे थे लेकिन शनिवार को अचानक देर सांय को जनपद में हुई वर्षा और हिमपात के कारण ग्रामीण पैदल मार्ग की दशा को देखते हुए बारिश व हिमपात के रूकने का इंतजार करते रहे लेकिन जब बारिश व हिमपात नहीं रूकर और घायल की स्थिति बिगड़ने लगी तो उसी हालत में ग्रामीणों ने बांस की लकड़ी का स्टेचर बनाकर उसमें बादर सिंह को लिटा कर बादर सिंह को फिसलन भरे रास्ते से किसी तरह 10 किमी पैदल रास्ता नाम कर मुख्य सड़क लंगसी तक पहुंचाया। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता संजय कुंवर बताते है कि बादर सिंह को बड़ी मुश्किल से सड़क मार्ग तक पहुंचाया गया। उसकी हालत गंभीर है। बताया कि यहां के डुमक, कलगोठ, जखोला, पल्ला ऐसे गांव है जो इससे भी दुर्गम और यहां पर भी अभी सड़क नहीं पहुंची। ऐसे हालत में गर्भवती महिलाओं, बीमार और वृद्धजनों को उपचार के लिए लाने में भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।