ढैंचा घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री के बीच नहीं थम रही जुबानी जंग

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    पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बीच टशन और बढ़ गई है। हरक सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री को सोच समझकर बोलने की सलाह दी है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि बोलने से पहले सोचना जरूरी होता है।

    पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की राजनीतिक लड़ाई रुकी नहीं है। डॉ. हरक सिंह रातव ने कहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान उनकी सोच का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति में जितनी समझ होती है वह उसी तरह की बात करता है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ढैंचा बीज घोटाले पर कहा था कि गधा ढैंचा-ढैंचा करता है। इस बयान पर हरक सिंह रावत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अबोध बच्चे या नासमझ बुजुर्ग नहीं है।

    डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि यहां अपने ही दुश्मन है। लोग पार्टी में उनके खिलाफ शिकायत करते हैं लेकिन वह अपनी बात कहीं नहीं रखेंगे। यह जरूर कहा कि आगमी चुनाव में यह बयानबाजी न रुकी तो न तो पार्टी का नुकसान होगा और न ही डॉ. हरक सिंह को, त्रिवेंद्र सिंह को ही इसका नुकसान होगा।

    कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने ढैंचा बीज घोटाले को लेकर एक बयान दिया था जिसमें उन्होंने कहा था कि ढैंचा बीज घोटाले में हरीश रावत की सरकार में त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटकी थी, तब वो हरीश रावत सरकार में कृषि मंत्री थे। उन्होंने दो पेज का नोट त्रिवेंद्र सिंह रावत के पक्ष में लिखा था और उन्हें गिरफ्तारी से बचाया था। डॉ. रावत ने कहा कि उस समय हरीश रावत एम्स में भर्ती थे। डेढ़ महीने तक तकिए के नीचे ढैंचा बीज घोटाले की फाइल दबाए बैठे रहे थे जब उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से त्रिवेंद्र सिंह रावत को बचाने की सिफारिश की थी, तब हरीश रावत ने कहा कि सांप को दूध पिला रहे हो।

    ढैंचा बीज घोटाला 2009-10 में सामने आया था, तब त्रिवेंद्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे और उन्हीं के ऊपर आरोप लगा था कि बाजार से अधिक दाम पर ढैंचा बीज खरीदे गए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में इस घोटाले की जांच के लिए त्रिपाठी आयोग बनाया गया था। त्रिपाठी आयोग ने माना कि ढैंचा बीज खरीद में घोटाला हुआ है। उन्होंने तत्कालीन मंत्री पर कार्रवाई की बात कही थी लेकिन कांग्रेस में सत्ता परिवर्तन हुआ और विजय बहुगुणा के स्थान पर हरीश रावत मुख्यमंत्री बने, उनके पास त्रिपाठी आयोग की रिपोर्ट पहुंची थी। अब यही रिपोर्ट पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा वर्तमान कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के बीच तू-तू मैं-मैं का कारण बन रही है।