हरिद्वार, कभी बरसात किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाती है तो कभी सूखे की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है। ये ही वे कारण हैं जिनके कारण किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है, और किसान खेतों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
पिछले सालों की तुलना में मई में ऐसा लग रहा था कि इस बार भगवान किसानों पर मेहरबान हैं लेकिन जून आते ही गर्मी ने अपना सितम ढहाना शुरू कर दिया है। कड़कड़ाती धूप और लू के थपेड़े न केवल इंसान बल्कि फसलों पर भी तीखा प्रहार कर रहे हैं। लोगों को बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने वाला तरबूज भी खुद इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहा है।
गर्मी के मौसम में शरीर में पानी को कमी को पूरा करने वाला फल तरबूज लोगों की पहली पसंद होता है। ये तरबूज ही है जो अपनी तासीर और ठंडक की वजह से लोगों को गर्मी के मौसम में बड़ी राहत देता है। लेकिन इस बार गर्मी कुछ इस कदर बढ़ी है कि लोगों को ठंडक पहुंचाने वाला यह तरबूज खुद ठंड के लिए तड़प रहा है। हालात ये हैं कि पानी भरा रहने वाला तरबूज भी अब अंदर से सूखने लगा है। यहीं नहीं इसे उगाने वाले भी बर्बादी की कगार पर आ गए हैं। तरबूज इस बार भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है। खेतों में पानी न होने की वजह से इस बार तरबूज सूख कर बेल पर ही फट रहे हैं। जिसकी वजह से तरबूज किसान इस बार काफी परेशान नजर आ रहे हैं।
किसानों का कहना है कि इस बार बारिश न होने की वजह से फसल पूरी तरह सूख गई है। तरबूज को लगाने में लगभग 8 महीने की वक्त लगता है। लेकिन जब फसल को तोड़कर बेचने की बारी आती है तब फसल पूरी तरह सूख जाती है।
तरबूज की पैदावार के बारे में बताते हुए किसान सुरेन्द्र, राजकुमार व हारून ने बताया कि एक बीघा जमीन में तरबूज लगाने में सात हजार की लागत आती है। किसानों का कहना है कि इस बार की गर्मी को देखते हुए लग रहा है कि उनकी लागत मूल्य भी वापस नहीं मिलेगा। मगर इस बार फसल के बर्बाद हो जाने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।