उत्तराखंड विस चुनावः गोदियाल के लिए इसलिए जरूरी थे हरक

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गोदियाल

आखिरकार हरक सिंह रावत कांग्रेसी हो ही गए। उन्हें कांग्रेस के झंडे तले लाने में प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की भूमिका को अलग से रेखांकित किया जा रहा है। हरीश रावत गुट के करीबी होने के बावजूद गणेश गोदियाल यदि हरक सिंह को पार्टी में लाने के लिए प्रयासरत थे, तो इसे समझा जा सकता है कि वह एक अध्यक्ष के अलावा, श्रीनगर सीट से उम्मीदवार के नजरिये से भी सारी चीजों को तौल रहे थे।

दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2016 में जब हरीश रावत सरकार को अस्थिर करने के लिए हरक सिंह रावत ने विजय बहुगुणा के साथ मिलकर बगावत की थी, तब वो गणेश गोदियाल ही थे, जो बेहद मुखर होकर इन बगावतियों के खिलाफ सामने आए थे। गणेश गोदियाल ने अपने कांग्रेस के साथी पूर्व मंत्री राजेंद्र भंडारी के साथ विधानसभा में संयुक्त पत्रकार वार्ता की थी। उन्होंने आरोप लगाए थे कि भाजपा के लोगों ने उन्हें दल बदल के लिए पांच-पांच करोड़ रुपये का ऑफर दिया था। तब गणेश गोदियाल ने हरीश रावत के साथ मजबूती से खडे़ होकर न सिर्फ संघर्ष किया था, बल्कि पार्टी को धोखा देने वालों को पानी पी-पीकर कोसा भी था।

कुछ महीने पहले ही गणेश गोदियाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं और उन्हें खुले तौर पर हरीश रावत के करीबी नेता के तौर पर जाना जाता है। प्रीतम सिंह अपने समर्थकों के साथ बहुत पहले से हरक सिंह की पार्टी में वापसी के प्रयासों में सक्रिय थे। मगर हरीश रावत की ना के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। माना जा रहा था कि गणेश गोदियाल भी हरीश रावत के साथ मिलकर हरक सिंह रावत का रास्ता रोकने में जुटेंगे, लेकिन उनकी भूमिका कतई प्रतिकूल नजर आई। प्रीतम सिंह के साथ मिलकर गणेश गोदियाल ने हरीश रावत से लेकर पार्टी हाईकमान तक को हरक सिंह रावत के पक्ष में माहौल तैयार किया।

दरअसल, गणेश गोदियाल एक बार फिर श्रीनगर सीट से चुनाव मैदान में खुद उतर रहे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा सरकार के कैनिबेट मंत्री धन सिंह रावत से होना तय है। अभी तक दोनों नेताओं के बीच दो चुनावी मुकाबले हुए हैं, जिसमें से मुकाबला एक-एक से बराबरी पर छूटा है। अपने तीसरे मुकाबले में जीत के लिए गणेश गोदियाल को हरक सिंह रावत की मदद की दरकार इसलिए है, क्योंकि श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में न सिर्फ हरक सिंह का प्रभाव है, बल्कि यह उनका गृह क्षेत्र भी है। हरक के साथ आने से निश्चित तौर पर गोदियाल को चुनाव में मदद मिलेगी। इसके अलावा, एक प्रदेश अध्यक्ष बतौर सोचते हुए भी गणेश गोदियाल को हरक सिंह का कांग्रेस में आना फायदे का सौदा लग रहा है, क्योंकि लैंसडाउन, कोटद्वार, पौड़ी और रुद्रप्रयाग जैसे इलाकों में हरक सिंह रावत की अच्छी खासी पकड़ है। इन स्थितियों के बीच, अब देखना यही है कि हरक सिंह रावत कांग्रेस में अपनी उपयोगिता किस हद तक साबित कर पाते हैं।