विकासनगर। मेहनत का अच्छा फल मिलने से मेहनतकश के चेहरे पर खुशी छा जाती है। इन दिनों पछवादून के काश्तकारों के चेहरे भी खुशी से खिले हुए हैं। विगत छह माह की मेहनत के बाद अब तक खेतों में छाई बासमती की सौंधी खुशबू काश्तकारों के घरों में आने लगी है। धान की अच्छी पैदावार से काश्तकार खुश हैं और जल्द से जल्द धान को खेत से खलिहान ले जाने में लगे हुए हैं।
पछवादून को धान की पैदावार के लिए जाना जाता है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के चलते यहां के ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग खेती पर ही निर्भर हैं। काश्तकारों की सुविधा के लिए हालांकि सरकार ने भी पछवादून के को ऑपरेटिव सोसाइटी विकासनगर, हरबर्टपुर व सहसपुर में तीन धान विक्रय केंद्र खोले हैं जिनमें सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 1550 रुपए प्रति कुंतल की दर से धान खरीदा जा रहा है लेकिन पर्याप्त प्रचार प्रसार के अभाव में काश्तकारों को इन केंद्रों की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
गेहूं की फसल में नुकसान झेल चुके काश्तकार इस बार धान की अच्छी पैदावार होने से खुश नजर आ रहे हैं। हों भी क्यूं नहीं, काश्तकारों के घरों में खुशियां खेतों से गुजरकर ही आती हैं, खेतों में उगने वाली फसलों पर ही किसान की बेटी की शादी, बेटे के स्कूल की फीस सहित अन्य जिम्मेदारियां निर्भर होती हैं।
इन दिनों पछवादून के ग्रामीण अंचलों में धान की मंडाई में लगे किसान व उसके परिवार के सदस्यों के चेहरे पर सुनहरे भविष्य की खुशी साफ दिखाई दे रही है। मंडाई कर बासमती सहित अन्य किस्म की धान खेत से घर ले जाने के साथ ही किसान दूसरी फसल के लिए भी खेत तैयार करने में लग गए हैं, जिससे अगले फसल चक्र में भी परिवार में खुशी छाई रहे। बहरहाल इन दिनों खेतों में धान की मंडाई कर रहे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं।