जानिये कब हैं आपके लिये मानसिक रोगों के लिये मदद लेने का सही समय

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हम अक्सर अपने शरीर के उन संकेतोंं को नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो हमें बताते हैं कि हमे किसी तरह की मानसिक परेशानी हो रही है। ज्यादातर लोगों के लिये मानसिक बीमारियों के बारे में बात करना आज भी एक सामाजिक छुआछूत का कारण है। इस बीमारी के बारे में बात करने में आज भी शर्म महसूस की जाती है। एक मनौवैज्ञानिक के तौर पर मुझे ऐसे बहुत लोग मिलते हैं जिन्हें अपनी मानसिक बीमारी को पहचानने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसका एक बड़ा कारण है लोगों के बीच इस विषय को लेकर जागरूकता की कमी।

इसलिये सबसे ज़रूरी है ये जानना कि वो कौन से संकेत हैं जिनसे आप मानसिक बीमारियों की पहचान कर सकते हैं।

  • मूड में बदलाव आना। अचानक से उदास या उत्तेजित हो जाना। इस तरह का लक्षण तीन से चार दिन तक रहते हैं और आम दिनों में होने वाले तनाव से अलग होते हैं।
  • लगातार तनाव देने वाले हालात जो किसी भी इंसान के लिये आम दिनों में काम करने में परेशानी पैदा करें।
  • जिन चीज़ों से आपको पहले आनंद आता था वो अब न करने की इच्छा होना।
  • लोगों से पहले की तरह घुलने मिलने की इच्छा न होना।
  • बिना किसी तरह के शारीरिक परिश्रम के जबरदस्त थकावट महसूस करना।
  • छोटी छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन और लोगों पर गुस्सा करना।
  • भूख में बदलाव। ये बदलाव कम भूख लगने से लेकर आम दिनों से ज्यादा भूख लगने तक हो सकते हैं।
  • दिमाग का शांत न रहना और लगातार दिमाग में विचार आते रहना। ये हर बार नये विचार भी हो सकते हैं और बार बार पुरानी बातें भी ख्याल में आ सकती हैं।
  • अपने बारे में नकारत्मक विचार आना जिससे हर काम में हार मानने जैसा महसूस हो।
  • काम या निजी जीवन से जुड़ी ऐसी बातें या समस्याऐं जिनके बारे आप न तो समाधान ढ़ूंढ पा रहे हों और न ही किसी से बात कर पा रहे हों।

ऊपर दिये गये संकेत आपको इशारा करते हैं कि आपको किसी पेशेवर मनोवैज्ञानिक से मदद लेने की ज़रूरत है। ये ज़रूरी नहीं कि आपको किसी तरह की कोई मानसिक बीमारी हो पर शुरुआती दौर में इन लक्षणों पर काबू पाने से आप आगे आने वाले दिनों में इन लक्षणों के बिगड़ने से होने वाली मुश्किलों से निजात पा सकते हैं।

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ये जानना भी बहुत ज़रूरी है कि आपको किस तरह के एक्सपर्ट की ज़रूरत है। यानि आपको मनोवैज्ञानिक की ज़रूरत है या मनोचिकत्सक की। मनोचिकित्सकों के पास खास मेडिकल अध्यन्न की डिग्री होती है जिसके चलते इलाज में वो दवाईयों के प्रयोग से आपकी मनोदशा को ठहराव की तरफ लाने में मदद करते हैं। वहीं मनोवैज्ञानिक उन्ही लक्षणों के इलाज के लिये बिना दवाईयों के ऐसी तकनीकों का प्रयोग करते हैं जो कि सालों के शोध के चलते इस तरह की बीमारियों के इलाज के लिये सही पाई गई हैं।इन दोनों ही तरह के इलाजों का अपना महत्व है और इनमेंं से कोई दूसरे का विकल्प नही हो सकता। इन दोनों में से किसके पास आपके लक्षणों का सही इलाज होगा इसका फैसला अगर आप नहीं कर पा रहे हैं तो कोई भी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक सही दिशा में जाने में आपकी मदद कर सकता है।

विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक अपने योग्यता और डिग्री के आधार पर आपको मदद कर सकते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि आप एक मानसिक स्वास्थ्य के लिये किसी पेशेवर से सहायता प्राप्त करें। एक बार आपको पता है कि आपको मदद की ज़रूरत है तो, किसी भी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलें और वो आपकी मदद की प्रक्रिया को सही तरीके से आगे बढ़ा सकता है।आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत जीवन का पूरी तरह से आनंद लेने के लिये बहुत ज़रूरी है। इसमें अपनी मानसिक सेहत का ख्याल रखना बेहद ज़रूरी है। इसलिये अपने लक्षणों के बिगड़ने का इंतज़ार न करें और जल्द से जल्द एक सेहत से भरे जीवन की तरफ कदम बढ़ायें।

Dr kamna

(डॉ कामना छिब्बर एक मनोचिकित्सक हैं और फोरटिस हेल्थकेयर के मनोरोग विभाग की निदेशक हैं। डॉ छिब्बर पिछले दस सालों से मनोरोग के क्षेत्र में काम कर रही हैं। इनसे संपर्क करने के लिये [email protected] पर लिखें )