उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मंत्री को खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं।फिर चाहे उसके लिए उन्हें विभाग का पैसा भी क्यों न लुटाना पड़े। वन मंत्री डा. हरक सिंह रावत को तोहफे में बोर्ड ने 16 लाख की लक्जरी गाड़ी दी है। गाड़ी तक ही बात खत्म नहीं होती इसके साथ ड्राइवर, बगानी के लिए तीन माली का खर्चा भी बोर्ड ही उठाएगा। गौरतलब है कि लिपिक सहित सात कर्मचारी भी बोर्ड के खर्च पर मंत्री के साथ लगे हैं। 19 वीं बोर्ड बैठक में ये खर्च पास किया गया। वन मंत्री के पास जो लक्जरी इनोवा कार है वो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बजट से खरीदी गई है।
लेकिन आलम ये है कि जब भी जनता के हित के लिए कुछ काम करना हो तो विभान आए दिन बजट का रोना रोता रहता है ।योजनाओं के लिए विभाग के पास संसाधन नहीं है, लेकिन मंत्री जी को इनोवा देने के लिए ज़रा भी नहीं सोचा।
हाल में प्रदूषण को लेकर बड़े बिल्डिंगो और होटलों का सर्वे कराने तक के लिए पीसीबी के पास पर्याप्त पैसा नहीं था। ऐसा एक आध बार नहीं बल्कि अकसर ही विभाग बजट के आभावों को दुखड़ा सुनाता रहता है। वहीं दूसरी ओर मंत्री की सेवा के लिए विभाग खुलकर पैसा लुटा रहा है।
जब पीसीबी के सदस्य कर्मचारी से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि -कार की खरीद या कर्मचारियों की नियुक्त मेरे कार्यकाल में नहीं हुई। इसे काफी समय हो गया है। बोर्ड बैठक में इसका बजट जरूर मेरे कार्यकाल में मंजूर हुआ। इस पर बोर्ड ने कोई आपत्ति नहीं की।
विभाग कोष में हेरफेर के मामले तो आम हैं, लेकिन समझना और जानना ये ज़रुरी है कि आखिर जनता के पैसे का इस्तेमाल अगर नेता जी की खुशामद के लिए हो क्यों रहा है।