कौन मुआवजा लेने वाला और कौन देने वाला

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हरिद्वार, अतिक्रमण की जद में आए लोगों को मुआवजा कब मिला किसको मिला किसी को पता नहीं। प्रशासन के अधिकारी कई दशक पूर्व मुआवजा देने की बात कर रहे हैं। मुआवजे की हकीकत जानने के लिये पीड़ित प्रशासन के अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। हरिद्वार तहसील से जमीनों की खतौनी निकाल रहे हैं। जमीन के वास्तविक मालिकों को तस्दीक कर रहे हैं। फिलहाल हरिद्वार जनपद के कई परिवार जमीन अधिग्रहण के बाद बुरी तरह से संकट में है। इस परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

हरिद्वार लक्सर फोर लेन का निर्माण करने को लेकर जमीन का अधिग्रहिण किया जा रहा है। इसके अलावा हाईकोर्ट के आदेश पर शहर को अतिक्रमण मुक्त किया जा रहा है। प्रशासन की टीम जेसीबी की मदद से सड़क किनारे दुकानों और मकानों को ध्वस्त कर रही है। इन दुकानों के मालिकों ने जब अपनी जमीन की हद के बारे में जानकारी करने की कोशिश की तो पता चला कि इस जमीन को अधिग्रहित करने के लिये सालों पूर्व मुआवजा दिया जा चुका है। इस बात की खबर सुनने के बाद पीड़ितों के पैंरों की जमीन खिसक गई। वह तहसील पहुंचे। एक अस्पताल के स्वामी ने बताया कि उसके निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया है। जब प्रशासन के अधिकारियों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सालों पूर्व मुआवजा दिया जा चुका है।

इसी संबंध में जब डीएम दीपक रावत से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि 1980 के दशक में मुआवजा देने की बात पता चली है। कनखल के कुछ लोगों ने मुआवजा देने की रसीदें उनको दिखाई थी। लक्सर हरिद्वार फोर लेन के संबंध में नेशनल हाईवे के अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं।