ऋषिकेश, क्षेत्र खदरी के किसान आजकल रात-रात भर जागकर खेतों में रहने को मजबूर हैं। राज्य स्थापना के 17 वर्षों के बाद भी किसानों की फसल सुरक्षा के लिये न तो सुरक्षा बाड़ बन पाई है और न ही सौंग नदी की बाढ़ से तट बन्ध का निर्माण हुआ है। जिसके कारण खदरी और लक्कड़ घाट के किसानों रातभर जागकर खेतों में रात बिताने को मजबूर हैं।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि श्यामपुर न्याय पंचायत के किसानों को सिर्फ आश्वासनों के पुलिंदे के अलावा कुछ नहीं मिला है। जनप्रतिनिधि कांग्रेस की सरकार में किसानों की समस्या को ठोस तरीके से न रख पाए और न ही बहुमतवाली भाजपा सरकार से ही किसानों की समस्याओं का निदान करा पा रहे हैं। जिसके कारण किसानों को अपनी समस्याओं के निदान हेतु आन्दोलन करना पड़ रहा है।
गोहरी माफी के किसानों को तटबन्ध निर्माण हेतु लम्बे समय तक आन्दोलन करना पड़ा। 13 फरवरी को अन्ना हजारे के आन्दोलन को सम्बोधित करने की पूर्व सूचना पर तंत्र जागा और गोहरी माफी तट बन्ध निर्माण की घोषणा हो गई लेकिन खदरी के किसान आज भी परेशान हैं।
स्थानीय किसान उपेंद्र रयाल ने बताया कि, “खदरी के किसान जंगली जानवरों के कारण खेती से विमुख होने को मजबूर हो रहे हैं किन्तु कोई भी जनप्रतिनिधि खदरी के किसानों की सुध लेने वाला नहीं है। जंगली जानवरों द्वारा खेती बर्बाद हो रही है, जिसके परिणाम स्वरुप काफी लोग खेत बेचने को मजबूर हो रहे हैं।”
पर्यावरणविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जुगलान का कहना है कि, “स्थानीय किसान खेतो में अस्थाई बाड़ करके फसल सुरक्षा के लिये रात भर जागने को मजबूर हैं। इस सन्दर्भ में उपजिलाधिकारी ऋषिकेश के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी तटबन्ध निर्माण हेतु अवगत कराया गया है, किन्तु अभी तक इस सन्दर्भ में कोई उन्नति दिखाई नही दे खेती और फसल सुरक्षा हेतु तटबन्ध और सुरक्षा बाड़ का निर्माण नहीं किया जाता है तो खदरी के किसान लामबंद होकर आन्दोलन को मजबूर होंगे।”