बढ़ने लगी मिट्टी के बर्तनों की मांग

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1990

हरिद्वार। गर्मी बढ़ते ही मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ गई है। आजकल लोग इन पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों की जमकर खरीददारी कर रहे हैं। मिट्टी के बने बर्तनों को स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी अच्छा माना जाता है। जो लोगों को कई बीमारियों से भी दूर रखते हैं।

मिट्टी के बने बर्तनों की मांग बढ़ने से कुम्भकारों के चेहरे खिले हुए हैं। तापमान बढ़ने के साथ ही देशी फ्रीज यानि मिट्टी से बने घड़े और सुराही की मार्केट में मांग तेजी से बढ़ गई है। आधुनिक दौर में भी इन मिट्टी के बने बर्तनों का खास महत्व है। गरीब तबके के लोगों के लिए ये किसी फ्रीज से कम नहीं है। मटके का पानी जहां एक ओर कई फायदे देता है। वहीं, स्वास्थ्य के लिहाज से भी ये काफी लाभकारी माना जाता है। यही वजह है कि मिट्टी के बने बर्तनों की दुकानों से लोग जमकर खरीददारी कर रहे हैं।
डॉ दीपक ने बताया कि फ्रीज का ठंडा पानी स्वास्थय को कई प्रकार के नुकसान पहुंचाता है, जबकि घड़े का पानी शीतलता देने के साथ बीमारियों से भी रक्षा करता है। मिट्टी के बर्तन में रख पानी स्वंय शुद्ध हो जाता है। कई पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन बनाने का कार्य कर रहे कुम्हार राजकुमार का कहना है कि घरों में साज-सजावट के अलावा खाना बनाना, पानी पीने के बर्तनों की मांग लोगों में बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि आधुनिक दौर में मिट्टी के बर्तनों के प्रति लोगों का रुझान अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है, जो कुम्हारों के अस्तित्व को बचाए रखने में भी सहायक होगा।