भारत के योग-संस्कृति व अध्यात्म ने बदल दी इटली के जॉनी सोत्जे की जिंदगी

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देहरादून, भारत की प्राचीन संस्कृति योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलने से जहां योग को दुनियाभर के लोगों ने न केवल सराहा और अपनाया वरन इसे बेहतर जीवन तथा सेहत के लिए बहुत जरूरी बताया है। इनमें देश-दुनिया के सैकड़ों लोग शामिल हैं, कुछ ने इसे अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बना लिया है तो कुछ इसके जरिए समाज को नया जीवन देने का अपना मकसद बना चुके हैं। इन्हीं में से एक हैं इटली के जॉनी सोत्ज़े, वह योग-अध्यात्म में इस तरह रम चुके हैं कि उन्हें देखकर ऐसा लगता ही नहीं है कि वे पश्चिम देश से हैं, सोत्जे भारत की संस्कृति और खान-पान में पूरी तरह से रच-बस गए हैं।
इटली के 36 वर्षीय जॉनी सोत्ज़े ने बताया कि,” योग ने उनकी दुनिया बदलने के साथ ही चीजों को देखने-समझने का नजरिया बदल दिया यानि सकारात्मक बना दिया है। भारत के योग और अध्यात्म से प्रभावित सोत्ज़े फिलहाल भारत की यात्रा पर हैं। आठ-नौ महीने की अपनी भारत यात्रा के दौरान वह उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश की मनोरम वादियों के बीच योग व अध्यात्म को और अधिक गहराई से जानने का प्रयास कर रहे हैं।” इटली में लोगों को योग सिखाने वाले सोत्जे मानते हैं कि, “जब पांच वर्ष पूर्व उन्होंने योग की तरफ अपना रुख किया था तो उस समय उनके अंदर क्रोध जैसे अन्य सांसारिक गुण-अवगुण सभी कुछ मौजूद थे किंतु धीरे-धीरे उनके व्यक्तित्व में परिवर्तन हुआ। अब उनके अंदर से क्रोध नाम का अवगुण काफूर हो गया है।” उनका कहना था की भारत के योग और अध्यात्म को अपनाकर वह जीवन में शांति महसूस करने लगे हैं। सोत्ज़े योग की बारीकियों को समझने के लिए अपनी भारत यात्रा के दौरान बिहार के मुंगेर स्थित रिखिया धाम आश्रम भी जाएंगे जहां वह तीन महीने तक योग गुरुओं के सानिध्य में रहकर योग के दर्शन का विस्तार से ज्ञान हासिल करेंगे ।
सोत्जे की कहानी बहुत रोचक है
योग को अपने जीवन में आत्मसात करने वाले जॉनी सोत्ज़े की कहानी भी बहुत रोचक है। पार्टनर के साथ यूरोपियन शास्त्रीय नृत्य करने के दौरान ही शरीर की सभी मांसपेशियों में लचीलापन लाने के लिए उन्होंने जिम ज्वाइन किया था। नृत्य की बारीकियों को सिखाने के दौरान उनके नृत्य गुरु ने एक विद्यार्थी के साथ जिस तरह का व्यवहार किया वह सोत्ज़े को पसंद नहीं आया था जिसके बाद उन्होंने योग की तरफ रुख कर लिया और इस विद्या के उनके पहले गुरु बने गैबरेले बोनेटी। अपने गुरु की देखरेख में उन्होंने शरीर की एक-एक मांसपेशियों पर नियंत्रण साधा। शुरुआत में यह सब कुछ उनके लिए नीरस भरा था फिर भी वह इसमें लगे रहे। आज की तारीख में सोत्ज़े के लिए योग जीवन जीने का जरिया बन गया है। इस दौरान उन्होंने भागवत गीता के सूत्रों और श्लोकों का गहन अध्ययन भी किया। भारत की योग परंपरा और अध्यात्म ने सोत्ज़े की खानपान की आदतों से लेकर उनके व्यवहार तक में बदलाव ला दिया है।
योग ने उन्हें ब्रह्मांड जोड़ा
सोत्जे ने कहा कि, “योग ने उन्हें ब्रह्मांड से जोड़ा। अब वह महसूस करते हैं जैसे ब्रह्मांड ने उन्हें अपनी आगोश में ले लिया हो। वह कहते हैं कि लोगों में विनम्रता तो दिखती है किंतु दया भाव नहीं दिखता। भारत की योग परंपरा और आध्यात्म को अपनाकर यह दोनों गुण अपने में समाहित किए जा सकते हैं। भारत में आने के बाद सोत्ज़े को ऐसा लगा कि जैसे वह अपनी धरती यानि अपने घर आ गए हों। भारत की संस्कृति में रचे बसे इटली के सोत्ज़े ने यहां के व्यंजनों को भी बनाना सीखा। गीता के साथ-साथ महाभारत और रामायण का अध्ययन कर रहे जॉनी सोत्ज़े का कहना है कि इन सबको अपनाकर उनकी जिंदगी पहले से अधिक शांतिपूर्ण, खुशहाल और बेहतर हो गई है। अब दूसरों के साथ उनके संपर्क साधने के आयाम भी बदल गए हैं।”
योग की दुनिया से जुड़ने के पहले इटली में रहते हुए सोत्ज़े ने पुलिस ,फायरमैन, मिलिट्री पुलिस से जुड़े विज्ञापन का काम किया। योग के माध्यम से भारत पहुंचने पर उन्हें यहां सब कुछ बहुत अच्छा लगा लेकिन एक चीज जो उन्हें बेहद खटकी, वह था स्थानीय लोगों का पर्यटन स्थलों पर अपनी चीजों को बेचने के लिए विदेशी सैलानियों का पीछा करना। पर्यटन स्थलों पर इस तरह के व्यवहार से वह काफी तंग हो गए थे।