मिसालः जरूरतमंद की जान बचाने को तोड़ा रोजा

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देहरादून। कहते हैं किसी की जान बचाना सबसे बड़ा धर्म है। जाति और धर्म से उपर उठकर किसी के जीवन की रक्षा करने से बड़ कुछ नहीं। इसी को चरितार्थ करते हुए राजधानी देहरादून के एक शक्स ने रमजान में रोजा तोड़कर एक जरूरतमंद की जान बचाई। नैशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए रक्त की कमी के चलते मौत से जूझ रहे एक मरीज को अपना रक्त दान कर जान बचाई।
आरिफ ने बताया कि आम दिनों की तरह वे शनिवार को अपने काम में व्यस्त थे। इसी दौरान व्हाट्सएप पर उन्हें संदेश मिला कि किसी अजय बिजल्वाण पुत्र खीमानंद बिजल्वाण जो कि मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में आईसीयू (2) में एडमिट है, जिसकी प्लेटलेट 5000 से कम हो गई हैं। मरीज का ब्लड ग्रुप ‘ए+’ है। संदेश में यह भी लिखा था कि यदि शनिवार शाम पांच तक रक्त नहीं दिया गया तो उसकी जान को खतरा हो सकता है। इन दिनों चल रहे माहे रमजान के महीने के चलते आरिफ रोजेदार होने के बावजूद मैक्स हॉस्पिटल में सम्पर्क करके अपने रोजे से होने की बाबत जानकारी दी। हॉस्पिटल ने बताया कि यदि आप अपना रोजा तोड़ दें तो आप रक्त देकर मरीज की जान बचा सकते हैं। आरिफ खान ने बिना विलम्ब किए रक्त देने की हामी भर दी। आरिफ ने बताया कि यदि एक रोजा तोड़ने से किसी की जान बच सकती है, तो पहले मानवधर्म निभाना उनके लिए सर्वोपरी है। आरिफ ने तुरंत हॉस्पिटल पहुंचकर जरूरतमंद को अपना रक्त देकर उसकी जान बचाई। आरिफ ने बताया कि मरीज को रक्त देने के बाद अब वह डॉक्टरों की देखरेख में है। उन्होंने कहा कि रक्त, रक्त होता है फिर चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, सम्प्रदाय के व्यक्ति का हो या फिर किसी अमीर या गरीब का क्यों न हो। रक्त सभी का एक समान होता है, उसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है।